जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के 23वें स्थापना दिवस पर यूनिवर्सिटी परिसर में विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया. 23वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कई गणमान्य लोगों ने शिरकत की. वहीं कार्यक्रम में संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति रामसेवक दूबे भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में संचालन एवं संयोजन दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया. इसके साथ ही कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे गणमान्य लोगों ने संस्कृत यूनिवर्सिटी के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान की भी सराहना की.
शरणागति में सभी जीवों का अधिकार – प्रो. जयकांत शर्मा
शास्त्रों ने भगवान की शरण में जाने का अधिकार सभी वर्णों के लोगों को समान रूप से दिया है. सात शताब्दियों पहले जगद्गुरु रामानंदाचार्य ने सभी वर्णों और जातियों के लिए बिना किसी भेदभाव के शरणागति का मार्ग खोल दिया. यह बात जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के 23वें स्थापना दिवस के अवसर पर 6 फरवरी सोमवार को हुए व्याख्यान समारोह में प्रो. जयकांत शर्मा ने कही. दिल्ली के श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष प्रो. शर्मा ने कहा कि स्वामी रामानंद ने 700 साल पहले महात्मा कबीर, रैदास, धन्ना, पीपा और सैन जैसी अनेक आध्यात्मिक महाविभूतियों को उत्पन्न वैदिक सनातन धर्म की रक्षा की. संस्कृत के साथ ही देशज भाषाओं में ग्रंथों की रचना कर आध्यात्मिक लोकतंत्र की भावभूमि का निर्माण किया. आज के समय में आवश्यक है कि रामानंदाचार्य की सामाजिक समरसता का समाज में प्रयोग हो.
कुलपति प्रोफेसर रामसेवक दूबे भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में राष्ट्रपति सम्मानित विद्वान डॉ. उमेश नेपाल ने भक्ति की मोक्ष में कारणता पर प्रकाश डालते हुए आत्म-कल्याण के लिए उसकी उपयोगिता को समझाया. समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने जगद्गुरु शंकराचार्य के अद्वैत वेदांत के रहस्यों पर प्रकाश डालते हुए मानव कल्याण में संस्कृत भाषा को उपयोगी बताया. 23वें स्थापना दिसव पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया. मंगलाचरण वेद विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यवाहक कुलसचिव डॉ. राजधर मिश्र ने किया