राजस्थान में उच्च संस्कृत शिक्षा का बुरा हाल, स्वीकृत 432 में से 252 पद खाली

संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी कहा गया है. लेकिन राजस्थान में भाषाओं की इस जननी संस्कृत के हाल बड़े बेहाल है. स्कूली शिक्षा का स्तर जहां लगातार गिरता जा रहा है. वहीं उच्च शिक्षा के  हाल भी कुछ खास नजर नहीं आ रहे हैं. उच्च शिक्षा में प्राचार्य से लेकर चतुर्थ श्रेणी के करीब 60 फीसदी तक पद खाली पड़े हैं. तो कुछ स्थानों पर कॉलेज सिर्फ प्राचार्य के भरोसे ही चल रहे हैं. जिसके चलते संस्कृत कॉलेजों में हाल बिगड़ते जा रहे हैं.

31 में से 26 कॉलेजों में यही हाल

संस्कृत शिक्षा की अगर बात की जाए राजस्थान में 14 आचार्य (पीजी ) और 17 शास्त्री (यूजी) कुल 31 संस्कृत कॉलेज संचालित है. लेकिन इन कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी संस्कृत पर भारी पड़ रही है. इसके साथ ही संस्कृत शिक्षा में शिक्षकों की कमी के चलते लगातार विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है.

संस्कृत शिक्षा में पदों के हाल

संस्कृत कॉलेजों की अगर बात की जाए तो 31 कॉलेज राजस्थान में संचालित हो रहे हैं. इसमें प्राचार्य से लेकर चतुर्थ श्रेणी के 432 पद स्वीकृत हैं. लेकिन इनमें से 252 पद रिक्त चल रहे हैं. संस्कृत कॉलेजों में प्राचार्य के कुल 31 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से 26 पद रिक्त चल रहे हैं. वहीं व्याख्याता के स्वीकृत 203 पदों में से 136 पद रिक्त चल रहे हैं. इसके साथ ही लाइब्रेरियन के 13 पदों में से 11 पद रिक्त हैं, क्लर्क के 121 पदों में से 49 पद रिक्त हैं वहीं चतुर्थ श्रेणी के 60 पदों में से 30 पद रिक्त चल रहे हैं. हालांकि प्रोफेसर के स्वीकृत 4 पदों में सभी पद भरे हुए हैं.

कहीं तो प्राचार्य के भरोसे चल रहे कॉलेज

राजस्थान के 31 संस्कृत कॉलेजों में से 26 कॉलेज ऐसे हैं जिनके हाल बेहाल है. कहीं तो हालात ये हैं की सिर्फ प्राचार्य के भरोसे ही कॉलेज चल रहा है. तो कहीं बिना व्याख्याता तो कहीं बिना क्लर्क के कॉलेज संचालित हो रहे हैं.

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