पिछले करीब तीन सालों से बीएसटीसी-बीएड विवादों अब जल्द ही खत्म होता हुआ नजर आ रहा है. पिछले करीब एक साल से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है. तो वहीं अब एक बार फिर से 10 जनवरी से इस मामले पर अंतिम सुनवाई शुरू होगी और उम्मीद की जा रही है की 11 या 12 जनवरी तक इस मामले पर अंतिम फैसला आ सकता है. 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धुलिया की खण्डपीठ में इस मामले पर सुनवाई होगी. साथ ही खण्डपीठ ने शुरूआत के 5 सुनने वाले मामलों में से एक मामले में बीएसटीसी-बीएड विवाद मामले को रखा है.
क्या है बीएसटीसी-बीएड विवाद का पूरा मामला
शिक्षा विभाग की ओर से 32 हजार पदों पर रीट अध्यापक पात्रता परीक्षा निकाली गई थी. जिसमें 15 हजार 500 पद लेवल-1 और 16 हजार 500 पद लेवल-2 के लिए निर्धारित किए गए थे. लेकिन विवाद जब बढ़ने लगा जब लेवल-1 के लिए बीएड धारियों को भी पात्र रखने का फैसला लिया गया. सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदेश के लाखों बीएसटीसी धारक अभ्यर्थी विरोध में उतर गए. और राजधानी जयपुर में 55 दिनों का एक बड़ा आंदोलन चला. बीएसटीसी बेरोजगारों ने 11 अक्टूबर 2021 से लेकर 25 नवम्बर 2021 तक जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दिया. साथ ही एनसीटीई के गजट नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट में भी चुनौती दी. सरकार की ओर से जहां लेवल-1 में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को योग्य मानते हुए विज्ञप्ति जारी की तो वहीं इस आदेश के बाद बीएड अभ्यर्थियों ने कोर्ट में चुनौती दी. जिसके बाद अदालत ने लेवल-1 में बीएड धारियों को आवेदन करने के साथ ही परीक्षा देने की अंतिम राहत दी थी.
25 नवम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर से मिली बड़ी राहत
बीएसटीसी अभ्यर्थियों ने अपना संघर्ष जहां शहीद स्मारक पर जारी रखा तो वहीं न्यायपालिका पर विश्वास जताते हुए कोर्ट में भी इस मामले को लड़ा. राजस्थान हाईकोर्ट में लम्बी सुनवाई के बाद आखिरकार प्रदेश के लाखों बीएसटीसी धारक अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली. 25 नवम्बर 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की ओर से एनसीटीई के 28 जून 2018 के गजट नोटिफिकेशन को असंवैधानिक मानते हुए लेवल-1 में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को ही योग्य माना साथ ही लेवल-1 से बीएड धारियों को बाहर करने का फैसला सुनाया. हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने भी लेवल-1 में बीएसटीसी अभ्यर्थियों को राहत देने की मांग की थी.
राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दी गई चुनौती
25 नवम्बर 2021 को जब राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की ओर से राहत दी गई तो उसके बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई. जिसके बाद से ही जनवरी 2022 से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चल रही है.