राइट टू एजुकेशन पर घमासान, सड़कों पर उतरकर अभिभावकों का “हल्ला बोल”

नया सत्र होने के साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी खुलकर सामने आने लगी है. बीते कुछ दिनों से निजी स्कूलों द्वारा मनमाने रूप से फीस बढ़ोतरी के साथ ही आरटीई के तहत होने वाली निजी स्कूलों की मनमर्जी के खिलाफ अभिभावक सड़कों पर उतर चुके हैं, दो दिन पहले जहां शिक्षा संकुल पहुंचकर अभिभावकों ने शिक्षा अधिकारियों को ज्ञापन सौंपते हुए जोरदार प्रदर्शन किया था. वहीं शनिवार को बड़ी संख्या में अभिभावक शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला के आवास पहुंचे. लेकिन शिक्षा मंत्री के आवास पर नहीं होने के चलते अभिभावकों को गेट पर ही ज्ञापन देकर लौटना पड़ा. इसके साथ ही अभिभावकों ने शिक्षा निदेशक को भी निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर ज्ञापन भेजा है

शिक्षा मंत्री के आवास बड़ी संख्या में पहुंचे अभिभावक

शनिवार को राजधानी जयपुर के अभिभावक शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को ज्ञापन देने उनके सरकारी निवास पर पहुंचे, संयुक्त अभिभावक संघ ने शुक्रवार को शिक्षा मंत्री से अभिभावकों का पक्ष रखने के लिए समय मांगा था, लेकिन अभिभावकों के शिक्षा मंत्री के आवास पहुंचने से पहले ही शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला बीकानेर के लिए रवना हो गए थे. जिसके बाद अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री के आवास पर गेट पर ही ज्ञापन सौंपा साथ ही शिक्षा निदेशक के नाम भी ज्ञापन भेजा गया.

छात्रों को किया जा रहा प्रताड़ित- अरविंद अग्रवाल

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की शिक्षा को लेकर प्रदेश का प्रत्येक अभिभावक पीड़ित और प्रताड़ित हो रहा है. अभिभावक और छात्र मानसिक प्रताड़ना झेलने पर मजबूर हो रही है.  सरकार कानून बनाकर भूल चुकी है, प्रशासन कानूनों की पालना नहीं करवा रहा है, स्कूल लगातार अपनी मनमानी कर रहा है निजी स्कूल आरटीई में छात्रों के एडमिशन देने से मना कर रहा है, वही दूसरी तरह यही निजी स्कूल फीस वृद्धि में भी मनमानी कर रहा है. इसके अलावा इन दिनों फीस के साथ – साथ स्कूलों ने किताबों, ड्रेस इत्यादि को लेकर भी दामों में भारी वृद्धि कर दी है जिसके चलते अभिभावक ठोकर खाने पर मजबूर हो रहे है.

स्कूलों द्वारा सुनवाई नहीं होने पर सरकार के सामने रखी जा रही मांग- अभिषेक जैन

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की अभिभावकों ने सबसे पहले अपनी बात स्कूलों के समक्ष रखनी चाही तो स्कूलों ने नहीं सुनी, उसके बाद विभाग में अपनी बात रखने पहुंचने तो वहां अभिभावकों की पीड़ाओं को नहीं सुना गया, उसके अधिकारियों से मुलाकात की उन्हें भी बात नहीं सुनी, अब मंत्री से समय लेकर आए तो शिक्षा मंत्री भी जयपुर से बाहर होने की वजह से बात नहीं रख पाए.  

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