आउटकम बेस्ड एजुकेशन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, दो दिनों तक होगा आयोजन

कानोड़िया पीजी महिला कॉलेज व  यूनिवर्सिटी फाइव ईयर लॉ कॉलेज राजस्थान यूनिवर्सिटी के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय “क्वालिटी इंप्रूवमेंट इन द डिसिप्लिन ऑफ आर्ट एंड लीगल स्टडीज थू्र आउटकम बेस्ड एजुकेशन” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 1 और 2 फरवरी को किया जा रहा है.

दो दिवसीय संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने संगोष्ठी के विषय की प्रासंगिक को बताया. इसके साथ ही सभी अतिथियों का स्वागत किया. संगोष्ठी संयोजक डॉ. दीप्तिमा शुक्ला ने विषय की रूपरेखा प्रस्तुत की. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में जानकारी देते हुए, आउटकम बेस्ड एजुकेशन को वर्तमान संदर्भ में जरूरी बताया.

प्रोफेसर सीबी शर्मा ने रहे मुख्य वक्ता

आज उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में निदेशक स्कूल ऑफ एजुकेशन, इग्नू, दिल्ल प्रोफेसर सीबी शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आउटकम बेस्ड एजुकेशन का निर्धारण शिक्षक व विद्यार्थी द्वारा ही किया जाना चाहिए. राष्ट्र या राजनेता इसका निर्धारण नहीं कर सकते. इसके साथ ही मुख्य अतिथि, एनईआईपीए, दिल्ली से प्रोफेसर कुमार सुरेश ने भी विषय पर अपने विचार रखे. कॉलेज निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि आउटकम बेस्ड एजुकेशन को जीपीएस की तरह बताया. जो विद्यार्थी का मार्गदर्शन करते हुए उसे मंजिल तक ले जाता है.

दो दिनों तक विभिन्न सत्रों का हुआ आयोजन

संगोष्ठी के पहले दिन दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया है. जिनमें प्रोफेसर कल्पना पुरोहित, जय नारायण विश्वविद्यालय जोधपुर से. प्रोफेसर अमृता सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. मोना सेदवाल एनईआईपीए दिल्ली. डॉ. संजुला थानवी डीन डॉ. भीमराव अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय जयपुर. प्रोफेसर के एल शर्मा पूर्व कुलपति राजस्थान विश्वविद्यालय, प्रोफेसर भवानी शंकर शर्मा पूर्व विभागाध्यक्ष एवं डीन फाइन आर्ट्स वनस्थली विद्यापीठ, प्रोफेसर रवि रंजन दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ. रेखा भटनागर प्रबंध समिति सदस्य, कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय, अभिषेक तिवारी, विधि विश्वविद्यालय लखनऊ से इन सभी विद्वानों ने दोनों सत्रों में उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षण वातावरण, पाठ्यक्रम तथा मूल्यांकन आधारित शिक्षा आदि पर अपने विचार रखते हुए परिणाम आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दी और नई शिक्षा नीति की समस्याओं और संभावनाओं पर प्रकाश डाला. दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में राजस्थान के विभिन्न महाविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों से पत्र वाचक और प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

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