भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सिन्धी भाषा को 10 अप्रैल 1967 को मान्यता मिलने केअवसर पर राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा ’’सिन्धी भाषा ऐं संस्कृतीअ जो लागापो’’ विषयक राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, संगोष्ठी का आयोजन अकादमी संकुल सभागार, जे-15, झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर में किया गया
भाषाओं और साहित्य को लेकर हमें संवेदनशील होना होगा- रमेश बोराणा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं राज्यमंत्री रमेश बोराणा ने अपने कहा कि 10 अप्रैल 1967 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी द्वारा भारत के संविधान में सिन्धी भाषा को मान्यता प्रदान करवाई गई. भाषाओं और साहित्य को लेकर हमें संवेदनशील होना होगा. सिन्धी संस्कृति भारत की जड़ों की भाषा है. हमें सिन्धी भाषा एवं संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिये इसकी जड़ो को मजबूत करना होगा. यदि हम अपनी जड़ों की भाषा को जीवित नहीं रखेगे तो हम संस्कारों से दूर हो जायेंगे. संस्कार आदमी को एक जिन्दा एवं संस्कारी इंसान बनाते हैं. अपनी भाषा एवं संस्कृति से ही हम अपनी नई पीढ़ी को संस्कार दे सकते हैं.
अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रहे विशिष्ट अतिथि
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अकादमी के पूर्व अध्यक्ष नरेश कुमार चंदनानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम जिस अकादमी संकुल सभागार में यह कार्यक्रम कर रहे हैं, वह माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दूरदर्शी सोच की देन है. उन्होंने ही जयपुर की अकादमियों को एक भवन में लाने की पहल की. वे प्रदेश की भाषाओं, संस्कृति, कला तथा कलाकारों का बहुत सम्मान करते हैं. सिन्धी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति का समृद्ध इतिहास रहा है. यह साहित्यकारों का दायित्व है कि सिन्धी भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ ऐसे साहित्य का सृजन करें ताकि भाषा-संस्कृति से युवा पीढ़ी में अच्छे संस्कारों का संचार हो.
व्याख्यान किए गए प्रस्तुत
कार्यक्रम के विषय वक्ता के रूप में जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार हरीश करमचंदानी, ब्यावर के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो.अर्जुन कृपलानी एवं जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार गोबिन्दराम माया ने सिन्धी भाषा एवं संस्कृति विषयक विशिष्ट व्याख्यान प्रस्तुत किये. कार्यक्रम में जयपुर की युवा गायक कलाकार रूचिका टी.चन्दानी ने कई सिन्धी गीत, कलाम, भजन आदि प्रस्तुत किये. कार्यक्रम का संचालन पूजा चांदवानी ने किया. अकादमी सचिव ने सभी आगन्तुकों का आभार प्रकट किया. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ.