शिक्षकों ने क्षतिपूर्ति अवकाश को लेकर उठा दी बड़ी मांग, मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री को भेजा ज्ञापन

राजस्थान के लाखों शिक्षकों द्वारा राजपत्रित अवकाश पर काम करने पर शिक्षकों को क्षतिपूर्ति अवकाश की मांग कर दी गई है. सेवा नियमों में संशोधन की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेजा गया है. जिसमें शिक्षकों को क्षतिपूर्ति अवकाश देने की मांग रखी गई है. अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) के प्रदेशाध्यक्ष रामकृष्ण अग्रवाल की ओर से ये मांग उठाई गई है.

मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को भेजा ज्ञापन

अखिल राजस्थान विद्यालय शिक्षक संघ (अरस्तु) की ओर से मुख्यमंत्री , शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को अलग-अलग ज्ञापन भेजकर मांग उठाई गई है. ज्ञापन कहा गया कि शिक्षकों को शिक्षा के अलावा गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाने में राज्य सरकार, जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, आरपीएससी व कर्मचारी चयन बोर्ड की अग्रणी भूमिका होती है, यहां तक की पॉलिटेक्निक कॉलेज की परीक्षाएं,और एसटीसी की परीक्षाएं भी स्कूलों में आयोजित करवाई जाती है, जिनमें भी शिक्षको की ड्यूटी लगाई जाती है. ऐसे में शिक्षकों को क्षतिपूर्ति अवकाश का लाभ दिया जाए.

2022-23 में  हर रविवार को शिक्षकों ने किया काम- अरस्तू

शिक्षक संगठन अरस्तू की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया की सत्र 2022-23 में ऐसा बहुत कम बार हुआ है की रविवार को शिक्षकों की ड्यूटी किसी ना किसी काम में ना लगी है. संगठन ने कहा कि रविवार व राजपत्रित अवकाश के दिन शिक्षकों की ड्यूटी लगाए जाने पर भी उन्हें क्षतिपूर्ति अवकाश दिया नहीं जाता. वहीं दूसरी ओर स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है की राजस्थान सेवा नियमों (RSR) में शिक्षकों को क्षतिपूर्ति अवकाश का परिलाभ देने का कोई उल्लेख नहीं है.

सेवा नियमों में बदलाव जरुरी- देवकरण गुर्जर

संगठन के प्रदेश प्रवक्ता देवकरण गुर्जर ने कहा कि शिक्षकों को रविवार व अन्य राजपत्रित अवकाश के दिन कार्य  कराया जाता है. तो बदले मे क्षतिपूर्ति अवकाश देना  चाहिए. ऐवजी अवकाश न देना, शोषण एवं प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है. संगठन की मांग की है कि शिक्षकों को शोषण मुक्त करने के लिए राजस्थान सेवा नियमों में एक क्लाज जोड़ा जाए जिसमें मंत्रालय कर्मचारियों के समान शिक्षकों को भी रविवार या अन्य राजपत्रित अवकाश में ड्यूटी लेने पर उक्त  दिनों का क्षतिपूर्ति अवकाश देय हो. संगठन ने मांग की है कि सेवा नियमों मे शीघ्रातिशीघ्र संशोधन कर नया क्लाज जोड़ कर  3 लाख शिक्षकों को उनका न्यायोचित हक दिया जाए. ताकि लंबे समय से हो रहे शोषण पर पूर्ण विराम लग सके.

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img