अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में गूंजा मिलावट का मुद्दा, राजस्थान यूनिवर्सिटी में जल्द बन सकती टेस्टिंग लैबोरेट्ररी

राजस्थान विश्वविद्यालय में “फ्यूचर ऑफ फूड” को लेकर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया. कांफ्रेंस में देश विदेश से आए हुए खाद्य विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी. तो वहीं आने वाले समय में हेल्दी फूड को लेकर गहन मंथन किया गया. लेकिन राजस्थान में लगातार पनप रहे मिलावट के धंधे पर राजस्थान यूनिवर्सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी भूपेन्द्र सिंह शेखावत ने विस्तार से प्रकाश डाला. इसके साथ ही राजस्थान यूनिवर्सिटी में भी एक टेस्टिंग लैबौरेट्री स्थापित करने की बात कही.

मिलावट खोर कर रहे स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़- भूपेन्द्र सिंह शेखावत

राजस्थान विश्वविद्यालय में फ्यूचर ऑफ फूड को लेकर आयोजित की गई अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में राजस्थान यूनिवर्सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी भूपेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज जरूरत मिलावटी खाद्य पदार्थों को रोके जाने की है. जयपुर और इसके आसपास मिलावटी खाद्य पदार्थों की जो फैक्ट्रियां खुली हुई है इसकी जानकारी भी कांफ्रेंस में भूपेन्द्र सिंह शेखातव ने दी. उन्होंने बाताया कि किस तरह दूध में डिटर्जेंट मिलाकर आकर्षक मिठाइयां बनाने के अवैध कारखाने जयपुर के आस पास  चौमूं, बस्सी, डिग्गी और सांगानेर में बने हुए हैं. और इन अवैध कारखानों में सस्ते दामों पर बनाई गई खाद्य सामग्रियां बड़े-बड़े शादी समारोह में खुले रूप से लोगों को परोसी जा रही है. एक आम व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इन मिलावटी खाद्य पदार्थों से भारी खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है इसे रोके जाने कि आज बड़ी आवश्यकता है.

शुद्ध के लिए युद्ध के तहत बड़े स्तर पर हो रहा काम

राजस्थान यूनिवर्सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी भूपेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मिलावट के इस गोरखधंधे को रोकने के लिए एक प्रभावी पहल की है. शुद्ध के लिए युद्ध जैसा एक अभियान पूरे राजस्थान में शुरू किया है. अभियान के तहत खाद्य पदार्थों में  मिलावट की सूचना देने वाले व्यक्ति को 51 हजार रुपये का नकद पुरस्कार देने की भी योजना है. 

राजस्थान यूनिवर्सिटी में स्थापित हो टेस्टिंग लैबोरेट्री

भूपेन्द्र सिंह शेखावत ने कांफ्रेंस में अपनी बात रखते हुए कहा की राजस्थान विश्वविद्यालय को भी विश्वविद्यालय में इस प्रयोजन के लिए एक टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए.  जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी खाद्य सामग्री की इस दृष्टि से जांच करवाएं कि इसमें   कौन-कौन से तत्व मिले हुए हैं. वह उस व्यक्ति को पूरी रिपोर्ट सारे तत्वों की जांच कर दी जाए. भूपेन्द्र सिंह शेखावत के इस विचार को एक सकारात्मक रूप से लेते हुए  कुलपति प्रोफेसर राजीव जैन ने इस अवसर पर अपने  विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय शीघ्र ही खाद्य पदार्थों की जांच के लिए एक टेस्टिंग लैबोरेट्री की स्थापना विश्वविद्यालय में करेगा.

रूसा प्रोजेक्ट के तहत मिले हुए हैं 50 लाख रुपये

अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस की संयोजक प्रोफेसर निमाली सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान विश्वविद्यालय में खाद्य पदार्थों की स्क्रीनिंग व टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित करने के लिए रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) के तहत 50 लाख रुपए की राशि स्वीकृत है और इस स्वीकृत राशि से विश्वविद्यालय में टेस्टिंग लैबोरेट्री स्थापित करना संभव हो सकता है

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