पिछले डेढ़ साल से फंसा हुआ है पेच, नहीं हो पा रही है व्याख्याता पदों पर पदोन्नति

व्याख्याता पदों पर होने वाली पदोन्नति में डीपीसी के लिए यूजी-पीजी में समान विषय के नियम ऐसा फंसा है की पिछले डेढ़ सालों से व्याख्याता के पदों पर पदोन्नति नहीं हो पाई है. जिसके चलते प्रदेश के सैंकड़ों स्कूलों में व्याख्याताओं के करीब 13 हजार पद खाली चल रहे हैं, जिसके चलते स्कूलों में कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है. पदोन्नति के लिए यूजी-पीजी समान विषय की अनिवार्यता का पेंच ऐसा फंसा है ये सरकार के लिए भी लगातार सिर दर्द बढ़ा रहा है.

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग में 1970 में बने सेवा नियमों में संशोधन करते हुए कैबिनेट में प्रस्ताव पारित किया गया था. जिसके तहत राजस्थान राज्य अधीनस्थ एवं शैक्षणिक सेवा नियम 2021 बनाया गया. नये नियम के तहत व्याख्याता पद पर डीपीसी के लिए यूजी-पीजी के समान विषय की अनिवार्यता रखी गई. 

नियम लागू होते ही शिक्षक बंटे दो धड़ों में

राजस्थान राज्य अधीनस्थ एवं शैक्षणिक सेवा नियम 2021 लागू होने के साथ ही सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही इस नियम को लेकर शिक्षक भी दो धड़ों में बंटे हुए नजर आए. अलग-अलग विषय से यूजी-पीजी किए हुए शिक्षकों ने इस नियम का जमकर विरोध किया. साथ ही समान विषय से यूजी-पीजी करने वाले शिक्षकों ने नियम का समर्थन भी किया. और इसी के चलते पिछले दो सालों से व्याख्याता पदों पर होने वाली डीपीसी अटकी पड़ी है. 

अप्रैल में तीसरे साल की डीपीसी हो जाएगी पेंडिंग

जहां पिछले दो सालों की डीपीसी लम्बित चल रही है तो वहीं अप्रैल में व्याख्याता पदों पर तीसरी डीपीसी होने वाली है. ऐसे में अगर जल्द ही समाधान नहीं निकलता है तो अप्रैल में तीसरी डीपीसी पेंडिंग होने के आसार नजर आ रहे हैं. 

लेकिन जल्द समाधान होने की उम्मीद

शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला की ओर से पिछले दिनों सचिवालय में कार्मिक विभाग और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग हुई थी. इस मीटिंग में यूजी-पीजी समान विषय के नियम को लेकर भी चर्चा की गई. इसके साथ ही मीटिंग में नये नियम को हटाते हुए पुराने नियम से ही डीपीसी करवाने को लेकर भी सुझाव लिए गए. जिसके बाद इस मसले पर अंतिम फैसला लिए जाने पर भी सहमति बन चुकी है. ऐसे में अगर मीटिंग के आधार पर सभी क्रियान्वयन होते हैं तो जल्द ही नये नियम को हटाने को लेकर कैबिनेट में प्रस्ताव रखा जाएगा.

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