युवाओं को संस्कृत से जोड़ने की जरूरत, राज्यपाल ने युवाओं से कर दिया बड़ा आह्वान

जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय का 5वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति राज्यपाल कलराज मिश्र ने की. वहीं दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. संस्कृत यूनिवर्सिटी के 5वें दीक्षांत समारोह में 8  हजार 842 विद्यार्थियों को डिग्रियों का वितरण किया गया है. वहीं 16 स्वर्ण पदकों दो डीलिट और दो पीएचडी की मानद उपाधियां भी दी गई.

युवाओं को संस्कृत से जोड़ने की जरूरत- राज्यपाल

कुलाधिपति राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है. प्राचीन भारतीय साहित्य एवं संस्कृति से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए संस्कृत को नए संदर्भ देते हुए बढ़ावा देने की जरूरत है. जीवन व्यवहार और आदर्श लोकाचार की शिक्षा संस्कृत में सहज एवं सुंदर रूप में है. संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से समृद्ध भाषा है, जो विचारों के आदान-प्रदान के लिए बहुत सरल और मधुर है. संस्कृत भाषा सनातन सांस्कृतिक मूल्यों की संवाहक है. दर्शन, तत्त्व मीमांसा, धार्मिक चिंतन, काव्य, नाटक, ब्रह्मांड विज्ञान, खगोल शास्त्र, भूगोल, भू-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, शरीर-रचना विज्ञान, शल्य क्रिया, आयुर्वेद, वास्तुकला, वैमानिकी, यंत्र विज्ञान, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, गणित व मनोविज्ञान आदि का संस्कृत में अथाह भंडार है.

अनेक विदेशी भाषाओं में संस्कृत के शब्द- बीडी कल्ला

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि अनेक विदेशी भाषाओं में संस्कृत के शब्द हैं. इससे स्पष्ट है कि संस्कृत का विस्तार व्यापक है. संस्कृत भाषा की संक्षिप्तीकरण की शैली इतनी अद्भुत है जो अन्य किसी भाषा में नहीं है. राजस्थान में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए हाल ही प्रदेश में 20 संस्कृत महाविद्यालय खोलने का निर्णय सरकार ने लिया है, इससे प्रदेश में संस्कृत शिक्षा में तेजी से फैलाव होगा. संस्कृत शिक्षा को डिजिटल एवं आधुनिक तकनीकों से जोड़े जाने की आवश्यकता जताई. साथ ही संस्कृत विश्वविद्यालय में संगीत व ललित कला आदि संकाय शुरू करने का सुझाव भी दिया.

संस्कृत के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने के किए जा रहे प्रयास- रामसेवक दुबे

संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. रामसेवक दुबे ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया. रामसेवक दुबे ने कहा कि विश्वविद्यालय में अधिकाधिक विद्यार्थियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से यहां संस्कृत की अनिवार्यता के साथ बीए और एमए के पाठ्यक्रम आरंभ किए जा रहे हैं. छात्राओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से उनके लिए यहां निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है.

चार विशिष्ट लोगों को मानद उपाधि

राज्यपाल कलराज मिश्र ने समारोह में श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, महानगर टाइम्स के संस्थापक संपादक गोपाल शर्मा, प्रख्यात शिल्प शास्त्री अनूप बरतरिया एवं अंतरराष्ट्रीय शूटर अपूर्वी चंदेला को डीलिट व पीएचडी की मानद उपाधियां प्रदान की गई. भोपाल में होने के कारण चंदेला कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सकी. समारोह में विभिन्न संकायों के उत्तीर्ण विद्यार्थियों को विद्यावारिधि, विद्यानिधि, संयुक्ताचार्य एवं शास्त्री-आचार्य की उपाधियां प्रदान की गई. 16 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक तथा 14 विद्यार्थियों को विद्यावारिधि (पीएचडी) की उपाधि प्रदान की गई.

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

spot_img