मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा पेश किए गए अपने बजट में राज्य के 25 हजार प्रबोधकों की गैर वित्तीय मांगों को पूरा नहीं करने पर प्रबोधको में सरकार के प्रति भारी आक्रोश व्याप्त है. इसी विरोध को लेकर राजस्थान के करीब 25 हजार प्रबोधकों ने जयपुर में विधानसभा के सामने धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री के ओएसडी नरेश मंगवानी को सौंपा. जिसके बाद ओएसडी ने मुख्यमंत्री के सामने इस मामले को रखने की बात कही. प्रतिनिधिमंडल में प्रबोधक संघ राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत, प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक ,शिव प्रकाश शर्मा, मनोज भट्ट व डूंगर सिंह शामिल रहे
17 मार्च को मिल सकता बड़ा तोहफा
17 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने रिप्लाई बजट भाषण के जवाब में प्रबोधकों की मांगों को लेकर बड़ा तोहफा दे सकते हैं. प्रबोधक राजस्थान संघ के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत ने बताया की सरकार के सामने अपनी बात रखी है. और आश्वासन मिला है की 17 मार्च को जब बजट पर रिप्लाई दिया जाएगा तो मुख्यमंत्री द्वारा राजस्थान के 25 हजार प्रबोधकों को बड़ा तोहफा दिया जाएगा. अगर 17 मार्च को मुख्यमंत्री के द्वारा उनकी मांगों के पक्ष में घोषणा नहीं की जाती है तो प्रदेश के 25 हजार प्रबोधक विधानसभा का घेराव करते हुए एक बड़ा आंदोलन करेंगे.
इन मांगों को लेकर है आंदोलन
प्रबोधक संघ राजस्थान के प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक ने बताया कि बजट से पहले प्रबोधकों ने मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांग रखते हुए कहा था कि उनकी संविदा कर्मी के समय की सेवाओं को प्रबोधक कैडर में जोड़ा जाए, जब अन्य राज्य कर्मचारियों को पदोन्नति के पांच अवसर दिए जा रहे हैं तो प्रबोधकों को भी 5 अवसर देते हुए मुख्यमंत्री अपने बजट में इसकी घोषणा करें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में ओपीएस स्कीम तो लागू की है लेकिन राज्य के 90 फीसदी प्रबोधकों को इसका पूरा लाभ नहीं मिलेगा. क्योंकि अधिकांश प्रबोधको की सेवाए पेंशन योग्य 25 वर्ष नहीं हो रही है. 2008 में नियमित किए गए प्रबोधक इससे पहले भी करीब 15 से 20 वर्षों की अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उनकी इस सेवाओं को प्रबोधक सेवा में जोड़ा जाए तब ही प्रदेश के 25 हजार प्रबोधकों को पूरी पेंशन का लाभ मिल पाएगा.
शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला का जवाब गैर जिम्मेदाराना- संजय कौशिक
प्रबोधक संघ राजस्थान के प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक ने बताया की राजस्थान विधानसभा में 1 मार्च को पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर से विधायक वासुदेव देवनानी के द्वारा प्रबोधक कैडर की पदोन्नति को स्पष्ट रूप से द्वितीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष वरिष्ठ प्रबोधक पद पर करने की मांग उठाई गई थी. साथ ही जालोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित , भादरा विधायक बलवान सिंह पूनिया एवं कपासन विधायक अर्जुन लाल झिनगर ने प्रबोधक पदोन्नति एवं पदनाम परिवर्तन करने तथा अन्य समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए विधानसभा में प्रबोधको का पक्ष रखा था. लेकिन शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने इन सभी विधायकों की मांगों का जवाब देते हुए कहा कि प्रबोधक को पदोन्नति देकर वरिष्ठ प्रबोधक बना दिया गया है. तथा इनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है. यह जवाब गैर जिम्मेदाराना और प्रदेश के 25 हजार प्रबोधकों को मायूस करने वाला रहा. शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को प्रबोधक विषय की पूरी जानकारी नहीं होने जैसा प्रतीत होता है प्रबोधक 2008 में ही तृतीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष नियमित राज्य कर्मचारी के रूप में सेवारत हो गए थे तथा समस्त लाभ परिलाभ राज्य कर्मचारी के रूप में मिल रहे हैं आर्थिक स्थिति का सुधरना वर्तमान सरकार का इसमें किसी भी प्रकार की भूमिका नहीं है यह तो सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है.
17 मार्च को प्रबोधकों के हक में घोषणा नहीं हुई तो करेंगे बड़ा आंदोलन खड़ा– शेखावत
संघ के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत ने बताया की प्रबोधकों ने लगातार सरकार से संवाद स्थापित कर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचाई. लेकिन इसके परिणाम शून्य रहे. प्रबोधकों के पास केवल संघर्ष का रास्ता बचा है जिसको लेकर 13 मार्च सोमवार को प्रदेश के 25 हजार प्रबोधक विधानसभा पर एकत्रित हुए. और अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के ओएसडी को ज्ञापन सौंपा गया. बजट घोषणा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रबोधक कैडर की सभी मांगों को नजरअंदाज करते हुए पूरी तरह से उपेक्षा की है. मुख्यमंत्री गहलोत ने 14 जून 2021 को प्रबोधक से वरिष्ठ प्रबोधक पद पर पदोन्नति हेतु 5 हजार पद सृजित किए थे. लेकिन उसकी अनुपालना आज तक नहीं हो पाई है. बल्कि पदोन्नति के स्थान पर पदावनति करने का आरोप भी लगाया है. अगर 17 मार्च को घोषणा नहीं होती है तो फिर बड़ा आंदोलन किया जाएगा