राजस्थान यूनिवर्सिटी में आयोजित हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

रूसा 2.0 प्रोजेक्ट XIV एवं यूजीसी सेप डीआरएस III के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 17 और 18 मार्च को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन समाजशास्त्र विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा किया गया. जिसका विषय “शहरी विकास स्वास्थ्य और समाज के विभिन्न कमजोर वर्ग” रहा. दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया गया.

दूसरे दिन दो समानांतर सत्रों का हुआ आयोजन

राजस्थान यूनिवर्सिटी में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन दो समानांतर सत्रों में विभिन्न विषयों जैसे स्मार्ट सिटी, स्ट्रीट चिल्ड्रन, किन्नर समुदाय, बढता नगरीकरण, पर्यटन विकास का समावेशी ढांचा, स्वास्थ्य सेवाओं का महंगा होना, बुजुर्गों की स्वास्थ्य समस्या, संपोषणीय विकास, कमजोर वर्गों की समस्या आदि विषयों पर नगरीकरण के संदर्भ में विभिन्न प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये.

विभिन्न सत्रों की गणमान्यों ने की अध्यक्षता

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन आयोजित हुए दोनों समानांतर सत्रों की अध्यक्षता प्रो. मंजू कुमारी एवं प्रो. नैना शर्मा द्वारा की गई. इसके बाद चर्चा सत्र आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो. एस. एल. शर्मा चंडीगढ़ द्वारा की गई. जिसमें प्रो. आशीष सक्सेना विभागाध्यक्ष इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ देव नाथ पाठक, एशियन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली आदि विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न मुद्दों पर विमर्श किया.

समापन सत्र का हुआ आयोजन

अंतिम सत्र समारोप समारोह के रूप में आयोजित हुआ. जिसमें संगोष्ठी आयोजन समिति अध्यक्ष एवं प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, रूसा प्रोजेक्ट XIV प्रो रश्मि जैन द्वारा सभी का स्वागत किया व संगोष्ठी की सार्थकता पर प्रकाश डाला. इसके बाद डॉ. लोकेश्वरी द्वारा दो दिवसीय संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. समारोप उद्बोधन प्रो. माला कपूर शंकरदास, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया. अपने उद्बोधन में विषय की सम्पूर्णता पर प्रकाश डाला साथ ही कहा कि नगरीकरण की चुनौतियों से निपटना किसी एक व्यक्ति या संगठन के लिए संभव नहीं है. अपितु सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करना चाहिए. हमें नगरीकरण के साथ न्यायोचित स्वास्थ्य व्यवस्था को लागू करना होगा. हम नगरीकरण को कमजोर वर्ग व स्वास्थ्य से परस्पर संबंधित करके ही समावेशी नीति का निर्माण कर नगरीकरण के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं.

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