तकनीकी शिक्षा के खुलेंगे रास्ते, 4 साल बाद तकनीकी शिक्षा परिषद ने दी मंजूरी

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से आखिरकार 4 साल बाद एक बड़ा फैसला लिया गया है. इस फैसले के तहत अब इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की छूट दे दी गई है. जिसके बाद अब नये इंजीनियरिंग कॉलेजों को लेकर एनओसी ली जा सकती है. साल 2019 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक लगा दी थी. जिसका असर इंजीनियरिंग में विद्यार्थियों की भारी कमी के रूप में देखने को मिला था.

2019 में लगाई रोक,2023 में दी छूट

आपको बता दें की अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से इंजीनियरिंग कॉलेजों में विद्यार्थियों की संख्या में गिरावट आने के चलते नये कॉलेज खोलने पर रोक लगा दी थी. लेकिन 4 साल बाद सत्र 2023-24 से नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की छूट दे दी गई है. नये कॉलेज शुरू करने के लिए कई संस्थानों ने एनओसी के लिए आवेदन कर दिया है.

कुछ कोर ब्रांच में ही दी गई छूट

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से जहां इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने की छूट दी गई है वहीं कुछ कोर ब्रांच में ही छूट दी गई है. जिसकी सूची एआईसीटीई (AICTE) ने हैंडबुक में जारी की है. एआईसीटी के निर्देशों के अनुसार पोस्ट ग्रेजुएशन और ग्रेजुएशन में तीन कोर ब्रांच के साथ नये कॉलेज खोले जा सकते हैं. इन ब्रांच में कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रोिनक्स एंड कम्युनिकेशन, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग, फूड टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग, इंस्ट्रूमेंशन, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग एंड टेक्सटाइल शामिल है.

पिछले 10 साल में सबसे बड़ी गिरावट हुई पिछले साल

साल 2019 में इंजीनियरिंग कॉलेजों के खोलने पर रोक तो लगा दी गई. लेकिन पिछले साल की अगर बात की जाए तो पिछले साल इंजीनियरिंग सीटों की संख्या घटकर 23 लाख 28 हजार रह गई. जो पिछले 10 साल में सबसे कम सीट मानी गई. इसके साथ ही साल 2014-15 सत्र के बाद करीब 400 इंजीनियरिंग कॉलेज भी बंद हुए.

राजस्थान में 8 साल में बंद हुए आधे इंजीनियरिंग कॉलेज

राजस्थान की अगर बात की जाए तो राजस्थान में साल 2015 में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 150 थी. साथ ही इन कॉलेजों में करीब 40 हजार नये प्रवेश भी होते थे. लेकिन अब राजस्थान में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या महज 87 रह गई है. साथ ही इन कॉलेजों में सीटों की संख्या भी 27 हजार ही रह गई है. राजस्थान में हर साल करीब एक तिहाई सीटें खाली रह गई है.

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