भारत की संस्कृति में गुरु का स्थान सबसे पहले माना जाता है. लेकिन अगर गुरु ही आपके सपनों को चकनाचूर करने का तुल जाए तो विद्यार्थी जाएं कहां. जी हां राजस्थान के जैसलमेर के पोकरण में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली 7 छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होता हुआ नजर आया. इन छात्राओं ने पूरे साल राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की तो परीक्षा भी राजनीतिक विज्ञान की दी. लेकिन जब परिणाम सामने आया तो ये छात्राएं उर्दू में सफल घोषित की गई.
नामांकन कम होने के डर से बच्चों के साथ धोखा
जैसलमेर के पोकरण विधानसभा के चाचा गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में 11वीं कक्षा की 7 छात्राओं के साथ स्कूल शिक्षकों ने ही कथित तौर पर धोखे में रखकर 11वीं कक्षा उर्दू विषय में पास करवा दी. दरअसल साल 2022 -23 में इन छात्राओं ने स्कूल में राजनीति विज्ञान विषय नहीं होने के कारण अपना एडमिशन स्कूल से वापस लेने के लिए स्कूल प्रशासन से मांग की थी. लेकिन तब स्कूल प्रशासन ने इन्हें स्कूल में राजनीति विज्ञान स्वीकृत करवा देने का बोलकर रोके रखा. और पूरे साल राजनीति की कक्षा भी लगाई
छात्राओं के अभिभावकों ने लगाया आरोप
इस बारे में एक छात्रा जया सुथार के पिता राजकुमार सुथार का कहना है कि स्कूल में नामांकन कम हो जाने के डर से छात्राओं को झूठा आश्वासन दिया गया .वहीं छात्राओं को साल भर राजनीति विज्ञान पढ़ाया गया. समय – समय पर स्कूल में होने वाली परीक्षाओं में भी राजनीति विज्ञान की परीक्षा ली गई यहां तक के वार्षिक परीक्षा भी DEO कार्यालय से पेपर मंगवा कर ली गई. लेकिन जब रिजल्ट आया तो राजनीति विज्ञान की जगह उर्दू विषय में नंबर दिए गए , जबकि छात्राओं ने न तो उर्दू की पढ़ाई की थी न ही उर्दू विषय की परीक्षा दी थी.
द चौक पहुंचा मामले की जड़ तक
द चौक ने जब इस पूरे मामले की जानकारी लेते हुए जड़ तक जाने का फैसला लिया. तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. जानकारों से बात की तो पता चलता है कि प्रत्येक सरकारी स्कूल में शिक्षा विभाग के शाला दर्पण पोर्टल पर रिजल्ट अपलोड करना होता है.अगर इस स्कूल में राजनीति विज्ञान विषय होता तो पोर्टल पर दिखाई देता. स्कूल में जितने विषय स्वीकृत है वही दिखाई देते है. हो सकता है इस स्कूल में राजनीति विज्ञान विषय हो ही नहीं तो उन्होंने उर्दू विषय में राजनीति विज्ञान के अंक डाल दिए जो की सही नहीं है .