एमएनआईटी जयपुर में इंडस्ट्री इंस्टिट्यूट इंटरेक्शन पर कार्यशाला का आयोजन

मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, एमएनआईटी जयपुर की ओर से इंडस्ट्री को संस्थानों के करीब लाने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुसरण में इंडस्ट्री इंस्टिट्यूट इंटरेक्शन (I3) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यक्रम में इंडस्ट्री जगत के पेशेवरों को अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया. इसके साथ ही कार्यशाला में पैनल चर्चाएं प्रस्तुत की गई. जहां इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों और संकाय सदस्यों ने विभिन्न सहयोग मार्गों के लिए नवीन विचारों का आदान-प्रदान किया.

अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और परीक्षण सुविधाओं की क्षमताओं को किया प्रस्तुत

1976 के MREC (अब एमएनआईटी) बैच के स्नातकों की कोर टीम ने भी (I3) पहल को आगे बढ़ाने के लिए अपने समृद्ध अनुभव और विशेषज्ञता के साथ संस्थान और इंडस्ट्री के बीच संपर्क लाने के लिए प्रयासों की अगुवाई की. एसोसिएट डीन (रिसर्च) डॉ. पिल्ली ने एमएनआईटी जयपुर की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और परीक्षण सुविधाओं की क्षमताओं को प्रस्तुत किया. डीन और विभागों के प्रमुखों ने इंडस्ट्री प्रतिनिधियों द्वारा उठाई गई चुनौतीपूर्ण इंडस्ट्री समस्याओं के समाधान पर चर्चा की.

आई3 पहल के प्रति दृष्टिकोण को किया गया साझा

एमएनआईटी जयपुर निदेशक प्रो. नारायण प्रसाद पाढ़ी ने आई3 पहल के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा किया. साथ ही इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि इंडस्ट्री नवाचार और आविष्कार के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. बीओजी के अध्यक्ष, डॉ. आर के त्यागी, जिनके मार्गदर्शन में इस आयोजन की योजना बनाई गई थी. उन्होने अपने पेशेवर करियर के दौरान इंडस्ट्री और संस्थान में सामंजस्य बिठाने के अपने योगदान के बारे में बातचीत की.

सामंजस्य बैठाने के लिए सकारात्मक पहल

इंडस्ट्री इंस्टिट्यूट, एमएनआईटी जयपुर समन्वयक डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि यह कार्यशाला इंडस्ट्री और संस्थान के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए एक सकारात्मक पहल है. आगे आने वाले समय में एमएनआईटी जयपुर राजस्थान की ही नहीं, पूरे देश की सभी इंडस्ट्रीज के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट सर्विस में अग्रणी भागीदार होगा. वहीं एमएनआईटी जयपुर निदेशक प्रोफेसर एनपी पाढ़ी ने कहा कि उद्योग के संपर्क में आए बिना इंजीनियरिंग और विज्ञान में स्नातक अधूरा है, इसलिए उद्योग और संस्थान के बीच महत्वपूर्ण सहयोग आज की सख्त जरूरत है ताकि संस्थान 360 डिग्री दृष्टि वाले इंजीनियरों का उत्पादन कर सके.

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