9 साल की काश्वी ने हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाकर अपना माता-पिता के साथ ही राजधानी जयपुर का नाम भी रोशन किया है. जयपुर के सिरसी कीरहना वाली काश्वी को ब्लाइंडफोल्ड के बाद किताब पढ़ने से लेकर बारीक से बारीक चित्रों में रंग भरने और स्केच तैयार करने में महारत हासिल है. काश्वी की इसी प्रतिभाग के चलते काश्वी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है.
ध्यान को बताया अपनी सफलता की कुंजी
काश्वी के पिता राहुल पारीक ने बताया कि बेटी काश्वी को इस क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के पीछे उनके कोच का बड़ा योगदान है. कोच ने पहले काश्वी को ध्यान केंद्रित करना सिखाया गया और उसके बाद मस्तिष्क के केंद्र बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीजों को पहचानना और जानने की कला भी सिखाई गई. काश्वी स्केचिंग, पेंटिंग और कलर इनके अलावा ब्लाइंडफोल्ड होकर रीडिंग कर लेती है. यहां तक की काश्वी अंधेरे में भी किसी शख्स के पहने हुए कपड़ों का रंग तक बड़ी ही आसानी से बता देती हैं.
पोती की कामयाबी ने किया गौरवान्वित- प्रहलाद सहाय
काश्वी दादा प्रहलाद सहाय का कहना है कि पोती की इस कामयाबी पर पूरे परिवार को गर्व है. काश्वी का प्रतिभा का बचपन से ही पता चल गया था और लीक से हटकर कुछ अलग सिखाने के मकसद से काश्वी को कोच के पास भेजा था और बहुत कम समय में उसने इस कला को सीखा है.
2 महीनों में ही कला में महारत की हासिल
काश्वी ने बताया कि उसे ब्लाइंडफोल्ड के जरिए चीजों को पहचानने और समझने की कला का हुनर सीखने में करीब 2 महीने का समय लगा. काश्वी ने इसके बाद अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी अप्लाई किया है. जहां से जल्द उन्हें प्रमाणिकता का संदेश प्राप्त होने वाला है.
क्या है ब्लाइंड फोल्ड
ब्लाइंड फोल्ड के बारे में हर इंसान ने सुना है. लेकिन हम आपको बताते हैं की ब्लाइंड फोल्ड होता क्या है. इस कला में आंख पर कॉटन (रुई) रखने के बाद कसकर पट्टी बांधी जाती है. जिससे कुछ भी दिखाई नहीं देता है. इसके बाद ब्लाइंडफोल्ड व्यक्ति को पूरा ध्यान मस्तिष्क के मध्य भाग पर ध्यान केंद्रित करना होता है. जिसके जरिए ललाट पर चैतन्य भाग के जरिए बाहरी हिस्से की गतिविधियों और वातावरण का आभास होने लगता है.
लम्बी तपस्या के बाद मिलती है सफलता
ब्लाइंड फोल्ड के लिए आमतौर पर 90 दिनों का ट्रेनिंग सेशन रखा जाता है. इसके साथ ही प्रति दिन 4 घंटे की ट्रेनिंग ली जाती है. ब्लाइंडफोल्ड के जरिए बाहरी वस्तुओं को पहचानना और कार्य करने की क्षमता को बरकरार रखने के लिए नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है.