विद्यार्थी जीवन में हर छात्र का सपना होता है कि वो प्रशासनिक सेवाओं में जाकर देश की सेवा करे. और इसकी तैयारियां एक विद्यार्थी अपने छात्र जीवन में ही शुरू कर देता है. लेकिन आईएएस जैसे पद पर पहुंचने के लिए जो संघर्ष का रास्ता होता है वो आसान नहीं होता है. इस कठिन रास्ता पर सफलता की मिसाल पेश ही है आशुतोष द्विवेदी ने. उत्तर प्रदेश के रायबरेली में रहने वाले आशुतोष द्विवेदी ने आखिरकार चौथे प्रयास में आईएएस बनने का सपना पूरा किया. आज हम बात करेंगे आशुतोष द्विवेदी के शिखर पर पहुंचने की कहानी की
कभी मानी हार, पिता से मिली सीख
हर किसी के जीवन में संघर्ष का आना लिखा होता है. लेकिन जो लोग संघर्ष पर पार पाकर जीत हासिल करते हैं वो लोग सफलता की अलग ही मिसाल कायम करते हैं, लेकिन इस सफलता को प्राप्त करने के लिए धैर्य रखना कितना जरुरी है ये आशुतोष द्विवेदी से सिखना चाहिए. आशुतोष द्विवेदी के माता-पिता का बाल विवाह हुआ था. लेकिन आशुतोष के पिता ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी. पिता ने शुरू से ही शिक्षा को महत्व को समझा और अपने बेटे को भी शिक्षा के महत्व को समझाया. अपने पिता से संघर्ष की सीख लेकर आगे बढ़ने वाले आशुतोष द्विवेदी साइकिल से गांव से स्कूल का रास्ता तय करके जाते थे. जिसके चलते आशुतोष द्विवेदी ने सफलता के पायदान को हासिल किया
रणनीति बनाकर लक्ष्य को हासिल करना किया निर्धारित
आशुतोष द्विवेदी ने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी को ही अपना लक्ष्य बनाया था. आशुतोष द्विवेदी ने चार बार आईएएस की परीक्षा दी. शुरूआत के दो प्रयासों में जहां आशुतोष सफल नहीं हो पाए तो वहीं तीसरे प्रयास में उनका चयन आईपीएस सेवा के लिए हुआ. लेकिन इनका सपना आईएएस बनने का था इसलिए आशुतोष द्विवेदी ने अपनी तैयारी जारी रखी और चौथे प्रयास में आशुतोष द्विवेदी ने अपना सपना साकार किया.