30 बार की असफलता ने भी नहीं तोड़ा हौसला, राजस्थान के आदित्य बने युवाओं के लिए मिसाल

कहते हैं अगर लक्ष्य को प्राप्त करने की जिद्द ठानी है तो तब तक नहीं रुकना है जब तक उसे पूरा ना कर लें. आदित्य देश के उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जिन्होंने लक्ष्य हासिल होने तक कभी हार नहीं मानी. चाहे परिस्थिति कितनी ही विपरीत रही हो या फिर असफलता ने उनके नाम रिकॉर्ड ही क्यों बना बना लिया हो. शिखर पर पहुंचने के सफर में हम बात करने जा रहे हैं आईपीएस आदित्य जो लक्ष्य को हासिल करने से पहले 30 बार प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने वाले आदित्य जो युवाओं के लिए मिसाल बने. 

असफलता ने दर्जनों बार ली परीक्षा

करीब 30 बार की असफलता कोई छोटी बात नहीं होती. ये अच्छे अच्छों के हौसले तोड़ने के लिए काफी है. लेकिन आदित्य इन असफलताओं से थक कर हार मानने वाले नहीं थे. यूपीएससी की तैयारी करने से पहले आदित्य ने 5 साल में करीब 30 भर्ती परीक्षाओं में अपना भाग्य आजमाया जिसमें एआईईईई, राज्य प्रशासनिक सेवा, बैंकिंग और केन्द्रीय विद्यालय सहित कई भर्ती परीक्षाओं में अपना भाग्य आजमाया. लेकिन किसी परीक्षा में सफलता नहीं मिली. 

प्रारंभिक शिक्षा

आदित्य राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के छोटे से गांव अजीतपुरा के रहने वाले हैं. 8वीं कक्षा तक गांव के ही स्कूल से पढ़ने वाले आदित्य ने आगे की पढ़ाई भादरा से की. आदित्य का सपना पहले इंजीनियर बनने का था लेकिन इंजीनियरिंग की परीक्षा में भी उन्हें असफलता ही मिली.

पिता का सपना बेटे ने किया पूरा

आदित्य के पिता शिक्षक थे. उनका सपना था की वो प्रशासनिक सेवा में जाकर देश की सेवा करें.लेकिन वो अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाए. जिसके बाद बेटे आदित्य ने पिता का सपना पूरा करने की ठानी. वजह थी पिता के सपने को पूरा करना.

आरएएस परीक्षा में भी आजमाया भाग्य

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी से पहले आदित्य ने राज्य प्रशासनिक सेवा में भी अपना भाग्य आजमाया. आदित्य दो बार साक्षात्कार तक भी पहुंचे. लेकिन यहां भी उनको सफलता नहीं मिली.

2013 में राजस्थान से पहुंचे दिल्ली

20213 में आदित्य ने प्रशासनिक सेवा में जाने की ठानी. जिसके बाद राजस्थान से दिल्ली का रुख किया. लेकिन प्रशासनिक सेवा परीक्षा भी आदित्य का इम्तिहान लेना चाहती थी. आदित्य को भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में पहले तीन प्रयास में असफल हुए. लेकिन चौथे प्रयास में 2017 की सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 630वीं रैंक हासिल करते हुए अपने पिता और खुद का सपना पूरा किया.

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