शिखर पर पहुंचने की इस कहानी में आज हम बात करने जा रहे हैं वीर प्रताप सिंह राघव की. जिसने सफलता के उस शिखर को पाया जिसका सपना हर स्टूडेंट देखता है. बेटे की पढ़ाई के लिए जब पिता ने कर्ज लिया उस समय ही वीर प्रताप सिंह राघव ने ठान लिया था कि एक दिन बड़ा आदमी बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन करना है. आज की इस कहानी में हम बात करने जा रहे वीर प्रताप सिंह राघव की संघर्ष की कहानी की.
वीर प्रताप की पढ़ाई के लिए माता-पिता ने किया कठोर संघर्ष
पढ़ाई का महत्व एक गांव के गरीब माता-पिता जितना समझते हैं. उतनी शायद ही कोई समझता है. बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए जितना संघर्ष माता-पिता करते हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए जीवन के हर संघर्ष को खुशी से स्वीकार कर बच्चों को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. वीर प्रताप की पढ़ाई के लिए उसके पिता ने कर्ज किया. और इस कर्ज को वीर प्रताप ने चुकाया आईएएस अधिकारी बनकर
आर्थिक तंगी के बाद भी नहीं मानी हार, दो बार असफल होने के बाद पाई सफलता
यूपीएससी की सिविल सर्विसेज की परीक्षा में दो बार फेल होने के बाद भी वीर प्रताप ने हार नहीं मानी. वीर प्रताप ने बताया कि दो बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. साल 2016 और साल 2017 में परीक्षा तो दी लेकिन दोनों ही बार वीर प्रताप असफल हुए. लेकिन साल 2018 में वीर प्रताप की मेहनत रंग लाई और साल 2018 में वीर प्रताप सिंह राघव ने 92वीं रैंक हासिल कर अपने माता-पिता के सपने को पूरा किया.
खराब आर्थिक स्थिति के चलते कई बार हुए हताश
वीर प्रताप सिंह राघव के जीवन की अगर बात उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के दलपतपुर एक किसान के घर में जन्मे वीर प्रताप के परिवार की आर्थिक हालात बहुत खराब थे. बेटे की पढ़ाई के लिए पिता को की बार कर्ज लेना पड़ा. पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए कभी भी किसी के सामने हाथ फैलाने से गुरेज नहीं किया. पिता द्वारा जब पढ़ाई के लिए कर्ज लेते हुए वीर प्रताप सिंह राघव ने देखा तो वो पूरी जान लगाकर पढ़ाई में डूब गए. वीर प्रताप अपने सपने को पूरा करने के लिए घंटो पढ़ाई में जुटे रहते थे.
नदी पार करके पढ़ाई के लिए जाते थे वीर प्रताप
बचपन में वीर प्रताप सिंह पढ़ाई के लिए 5 किलोमीटर दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता था. पुल के अभाव में नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वीर प्रताप सिंह राघव ने परिवार की आर्थिक हालात ठीक करने के लिए कांस्टेबल की नौकरी भी की. लेकिन उनका सपना था बड़ा आदमी बनने का. आखिरकार साल 2018 में वीर प्रताप सिंह ने अपने सपने को पूरा करते हुए आईएएस बनकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया.