शिखर पर पहुंचने की कड़ी में हम बात करते हैं उन लोगों की जिन्होंने अपने लक्ष्य को ही अपना सपना मानकर जीता और आखिरकार अपने सपने को पूरा किया. शिखर पर पहुंचने की इस कड़ी में आज हम बात करने जा रहे बीकानेर की परी बिश्नोई की. जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने लिए ना सिर्फ साधुओं सा जीवन जीया साथ ही तीन सालों तक ना मोबाइल के हाथ लगाया और ना ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. जानिये परी बिश्नोई के त्याग, संघर्ष और सफलता की कहानी
परी बिश्नोई का जीवन परिचय
परी बिश्नोई का जन्म 26 फरवरी 1996 को बीकानेर के काकड़ा गाांव में हुआ. परी के पिता मनीराम बिश्नोई पेशे से वकील है वहीं माता सुशीला देवी आरपीएफ (RPF) में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. परी बिश्नोई की प्रारंभिक शिक्षा अजमेर में हुई, फिर आगे की पढ़ाई के लिए परी ने दिल्ली का रुख किया. दिल्ली से परी बिश्नोई ने स्नातक किया और अजमेर में राजनीति विज्ञान में मास्टर किया.
ग्रेजुएशन के समय ही तैयारी की शुरू
परी बिश्नोई पढ़ाई में काफी अच्छी थी. और स्नातक करने के दौरान ही परी ने अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था. परी बिश्नोई जब ग्रेजुएशन कर रही थी तभी से परी ने UPSC की तैयारी शुरू कर दी. सफलता प्राप्त करने से पहले परी को दो बार असफलता का मुंह भी देखना पड़ा. इस दौरान परी बिश्नोई ने खुद को सोशल मीडिया और मोबाइल फोन से दूर कर लिया. साथ ही सफलता प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से साधुओं का जीवन जीते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू किया.
2019 में पाई सफलता
दो बार असफल होने के बाद परी बिश्नोई ने ठान लिया था की अब असफलता को पीछे छोड़ते हुए अपने सपने को पूरा करना है. परी बिश्नोई की यह तपस्या जल्द ही रंग लाई और 2019 में अपने तीसरे प्रयास में परी ने 30वीं रैंक के साथ UPSC की परीक्षा में सफलता प्राप्त की. इससे पहले परी बिश्नोई NET JRF की परीक्षा भी पास कर चुकी थी, लेकिन उनका लक्ष्य IAS बनकर देश और समाज की सेवा करना था.
सिक्किम गंगटोक में हैं पदस्थापित
परी बिश्नोई वर्तमान में सिक्किम गंगटोक में पदस्थ हैं. परी बिश्नोई का कहना है कि अपने माता पिता के काम के प्रति समर्पण देखकर ही प्रेरणा मिली. जब कभी निराशा या हताशा हावी होती थी तो मां ही संभालती थी. साथ ही आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती थी. जीवन की कठिनाइयों से परेशान होने की बजाय कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ उनका सामना करना चाहिए.