यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करना कोई आसान खेल नहीं माना जाता है. किसी को इस परीक्षा में पहले ही प्रयास में सफलता मिलती है. तो कोई संघर्ष के रास्ते पर चलकर इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करता है. लेकिन किसी को सालों तक मेहनत करने के बाद इस परीक्षा में सफल होने का स्वाद चखने को मिलता है. कुछ ऐसी ही कहनियों से हम आपको रूबरू करवाते हैं. जिनमें राजस्थान के जोधपुर जिले के रहने वाले सोहनलाल सिहाग का नाम भी आता है.
युवाओं के लिए मिसाल बने सोहनलाल
पिता का कर्ज में डूबा होने. बेटे की पढ़ाई के लिए मांग को नरेगा में काम करने के लिए मजबूर होने. कुछ ऐसी ही कहानी है सोहनलाल के परिवार की. आर्थिक तंगी और कर्ज से परेशान इस परिवार ने कभी इसका असर अपने बेटे की पढ़ाई पर नहीं होने दिया. राजस्थान में जोधपुर जिले के गांव रामनगर में रहने वाले सोहनलाल सिहाग ने अपने माता-पिता के संघर्ष को जाया नहीं जाने दिया. तीन बार असफल होने के बाद आखिरकार सोहनलाल को सफलता मिली.
बच्चों को पढ़ाई के लिए पिता ने लिया कर्ज
सोहनलाल के पिता गोरधन राम सिहाग और माता मीरा देवी ने अपने 4 बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक तंगी को आड़े नहीं आने दिया. मीरा देवी जहां नरेगा में जाकर मजदूरी करती थी वहीं पिता किसानी का काम करते थे. बच्चों की पढ़ाई के लिए गोरधन राम सिहाग ने अपने 15 बीघा खेत पर 20 लाख रुपये का कर्जा लेकर बच्चों को पढ़ाया.
पढ़ाई के दौरान ही बना लिया था मन
सोहन लाल पढ़ाई में अच्छे होने के चलते माता-पिता ने बेटे को बड़ा आदमी बनाने का सपना देखा. आर्थिक तंगी के बावजूद सोहनलाल को बीटेक के लिए मुम्बई भेजा. इसी दौरान सोहन लाल के मन में प्रशासनिक सेवा में जाने की अच्छा जगी. और तैयारी के लिए सोहन लाल दिल्ली चले गए. और प्रतिदिन करीब 7 घंटे तक पढ़ाई करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगे.
पहले तीन प्रयास में मिली असफलता
सोहनलाल ने बिना कोचिंग किए ही अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुट गए. पहले तीन प्रयास में सोहनलाल को सफलता नहीं मिली. लेकिन चौथे प्रयास में साल 2021 का जब परिणाम आया तो सोहन लाल ने 681वीं रैंक हासिल करते हुए अपने माता-पिता का सपना पूरा किया.