कहते हैं सफलता की मंजिल प्राप्त करने का जुनून हो तो मुश्किलें आपका रास्ता नहीं रोक सकती है. इसी कहावत को चरितार्थ किया है महाराष्ट्र के जालना जिले के एक छोटे से गांव से निकले अंसार अहमद शेख ( Ansar Ahmad Shaikh ) ने. बचपन से ही तंग हाल जिंदगी जीने वाले अंसार अहमद शेख ने बचपन में जो सपना देखा उसको जवानी की तहदीज पर पहुंच के साथ ही ना सिर्फ हासिल किया. साथ ही सबसे कम उम्र का आईपीएस अधिकारी बनते हुए एक इतिहास भी रच दिया. शिखर पर पहुंचने के सफल में आज हम बात करने जा रहे एक नौजवान आईपीएस अधिकारी के बारे में.
महज 100 रुपये से 150 रुपये में चलता था परिवार का खर्च.मां करती थी खेतों में काम
अंसार अहमद शेख एक बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे थे. अंसार के पिता योनस शेख महाराष्ट्र के मरावठवाड़ा में ऑटोरिक्सा चलाते थे. परिवार की माली हालात ठीक नहीं थी तो वहीं अंसार के पिता की शराब की तल उनको और गरीबी के दलदल में धकेल रही थी. पिता जहां दिनभर 100 से 150 रुपये ही कमा पाते थे वहीं इनमें से अधिक राशि शराब में खर्च कर देते थे. जिससे परिवार का खर्चा ही चलाना मुश्किल रहता था पढ़ाई तो दूर की बात थी. इसके ासथ ही अंसर की मां खेत में काम करके जैसे-तैसे घर चलाती थी. लेकिन अंसार ने गरीबी के इस दलदल से बाहर निकलने की ठान रखी थी.
एक समय पिता छुड़वाना चाहते थे पढ़ाई, लेकिन शिक्षक की सीख आ गई काम
परिवार की माली हालात ठीक नहीं होने के चलते रिश्तेदारों ने अंसार की पढ़ाई छुड़ाने की बात कही. जिसके बाद अंसार अहमद के पिता अंसार के स्कूल पढ़ाई छुड़वाने के लिए पहुंचे. लेकिन उस समय अंसार के लिए उनके शिक्षक फरिश्ता बने. शिक्षकों ने पिता को समझाया की अंसार पढ़ाई में बहुत अच्छा है आने वाले समय में ये सभी का नाम रोशन करेगा. जिसके बाद पिता ने अंसार की पढ़ाई जारी रखी. 12वीं कक्षा में जब अंसार ने 91 फीसदी अंक हासिल किए तो उसके बाद पिता ने कभी पढ़ाई छोड़ने का जिक्र नहीं किया.
बड़े भाई के लिए छोटा भाई बना फरिश्ता, दोस्तों ने भी खुले दिल से की मदद
बड़ा भाई पढ़ाई में बहुत अच्छा था और उसका आईएएस बनने का सपना था. इसी सपने को देखते हुए अंसार के छोटे भाई अनीस ने 7वीं कक्षा तक करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और अंसार की यूपीएससी की तैयारी जारी रखवाने के लिए अनीस एक गैराज में काम करने लगा. इसके साथ ही अंसार के दोस्तों ने भी मानसिक और आर्थिक रूप से अंसार की बहुत मदद की. इसके साथ ही अंसार की आर्थिक परेशानियों को देखते हुए कोचिंग ने भी फीस में भारी रियायत देते हुए अंसार की पढ़ाई को जारी रखा.
मेहनत और संघर्ष के आगे मुश्किलों ने मानी हार, पहले ही प्रयास में पाई सफलता
अंसार अहमद शेख ने यूपीएससी की तैयारी तो शुरू कर दी. लेकिन उनको पता था की उनके पास ज्यादा मौके नहीं है. इसलिए दिन-रात की परवाह किए बिना अंसार ने अपनी पूरी जान परीक्षा की तैयारी में झोंक दी. और 2015 में अपने पहले ही प्रयास में अंसार अहमद शेख ने यूपीएससी की परीक्षा को महज 21 साल की उम्र में पास करते हुए 371वीं रैंक हासिल करते हुए अपने सपने को पूरा किया.