प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाते हैं. लेकिन ये प्रयास सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित नजर आते हैं. बात जब ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की आती है तो हर किसी के मन में जीर्णशीर्ण अवस्था, टपकते हुए कमरे, पानी की कमी अव्यवस्थाओं और बिजली की कमी दिमाग में घूमने लगती है. लेकिन दूदू की सरकारी स्कूल में एक ऐसा शिक्षक भी है जिसने प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख शिक्षकों के सामने एक आदर्श स्थापित करते हुए स्कूल का नक्शा ही बदल दिया. शिखर तक पहुंचने के सफर में आज हम बात करने जा रहे हैं सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य ओम प्रकाश सैनी
तीन साल पहले जब स्कूल में हुआ ट्रांसफर तो दशा देखकर हुए निराश
करीब तीन साल पहले जब ओम प्रकाश सैनी स्कूल में आए तो स्कूल की हालत देखकर काफी निराश लगे. स्कूल में छतों से टपकता पानी, पूरा खेल मैदान कीचड़ और कंटिली झाड़ियों से अटा पड़ा होने के साथ ही मैदान में पत्थरों का ढेर. इसके साथ ही सबसे बड़ी समस्या स्कूल में लगतार गिरता हुआ नामांकन. स्कूल का ऐसा हाल देखकर ओम प्रकाश सैनी ने ठानी की स्कूल की दशा और दिशा को बदलना है. ओमप्रकाश सैनी ने भामाशाहों की मदद से महज तीन सालों में ना सिर्फ स्कूल की पूरी तस्वीर बदली साथ ही नामांकन के साथ ही शतप्रतिशत परिणाम देकर एक आदर्श भी स्थापित किया.
तीन साल में रिकॉर्ड नामांकन के साथ ही शत प्रतिशत परिणाम भी
2019 में जहां स्कूल का नामांकन महज करीब 180 से पास था तो वहीं 2022 में स्कूल का नामांकन बढकर 450 के पार पहुंच गया. इसके साथ ही अगर पिछले तीन सालों से स्कूल के परिणाम की बात की जाए तो इस स्कूल ने पिछले तीन सालों से शत प्रतिशत परिणाम भी दिया है. स्कूल में बेहतर शिक्षण कार्य के साथ ही विद्यार्थियों के सर्वांगिण विकास को लेकर भी हर शिक्षक अपनी भूमिका निभाता हुआ नजर आता है. खेल गतिविधियों में आगे रहने के लिए स्कूल के खेल मैदान में समय समय पर विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करवाया जाता है.
तीन साल की मेहनत के बाद सरकारी स्कूल सुविधाओं में दे रहा निजी स्कूलों को टक्कर
ओम प्रकाश सैनी ने महज तीन सालों में ही स्कूल का ऐसा कायाकल्प किया की दूदू क्षेत्र में स्थित निजी स्कूल भी आज इस सरकारी स्कूल के सामने फीके नजर आते हैं. स्कूल में प्रवेश करते ही मानो किसी हरे भरे मैदान में आ गए हैं. जगह-जगह पेड़-पौधे, बच्चों के चलने के लिए टाइल्स वाला रास्ता. इसके साथ ही स्कूल में पढ़ाई को आकर्षक और आसानी से समझने के लिए प्रैक्टिकल्स शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना