2016 में निकाली गई रीट भर्ती में 874 अभ्यर्थियों का मामला किसी से छिपा हुआ नहीं है. रीट भर्ती 2016 में विज्ञान और गणित के 874 ऐसे अभ्यर्थी थे जिनका नियुक्ति के लिए करीब तीन सालों का इंतजार करना पड़ा. इसी इंतजार के चलते 927 पदों पर निकाली गई इस भर्ती के 874 शिक्षक वरिष्ठता की श्रेणी में काफी पिछड़ गए थे. लेकिन अब लगता है की सरकार की ओर से इन शिक्षकों को बड़ा तोहफा दिया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि रीट भर्ती 2016 में विज्ञान-गणित के 927 पदों पर भर्ती निकाली गई थी. लेकिन इन 927 पदों में से सिर्फ 50 पदों पर ही नियुक्ति दी गई थी. ये नियुक्ति भी साल 2018 में हुई थी. लेकिन तत्कालीन सरकार द्वारा 874 पदों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी. जिसके बाद ये मामले कोर्ट में पहुंच गया था. कोर्ट में अपने हक के लिए नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों को एक लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ी
कांग्रेस सरकार ने कानून पचड़े से निकाला था भर्ती को
करीब 3 साल तक कोर्ट में अपनी नियुक्ति के हक की लड़ाई लड़ने वाले 874 चयनित अभ्यर्थियों को वर्तमान की गहलोत सरकार ने एक बड़ी राहत दी थी. वर्तमान द्वारा युवा हितों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट से एसएलपी वापस लेने का फैसला लिया. जिसके बाद अक्टूबर-नवम्बर 2021 में इन 874 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई. लेकिन अब इन शिक्षकों के सामने समस्या खड़ी हो गई है वरिष्ठता की.
2018 में नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों के बराबर वरिष्ठता देने की मांग
2016 में निकाली गई भर्ती की नियुक्ति भर्ती से करीब 5 साल बाद मिलने के बाद अब शिक्षकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुहार लगाई है. रीट विज्ञान चयनित शिक्षक संघ 2016 के डॉ. दीपेन्द्र शर्मा ने बताया कि “तत्कालीन सरकार के एक फैसले के चलते 874 शिक्षक वरिष्ठता की श्रेणी से 3 साल पीछे हो गए हैं. इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा युवा हितों के फैसले के लिए जाने जाते हैं. इसलिए सरकार से मांग है कि बिना किसी आर्थिक लाभ के इन 874 अभ्यर्थियों को वरिष्ठता का लाभ देते हुए सरकार इन अभ्यर्थियों को अपनी ही भर्ती में पूर्व नियुक्ति प्राप्त कर चुके अभ्यर्थियों के बराबर वरिष्ठता का लाभ दिया जाए.”