बजट सत्र के दौरान अपनी-अपनी मांगों को लेकर विभिन्न वर्गों द्वारा सड़कों पर उतरा जाता है. पिछले दिनों देखा गया की बेरोजगारों सहित विभिन्न संगठनों की ओर से विधानसभा सत्र के दौरान धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलन किए गए. तो वहीं अब राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को विधानसभा घेराव की चेतावनी दे डाली है.
इन मांगों को लेकर विधानसभा घेराव की चेतावनी
शिक्षक संघ शेखावत की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर विधानसभा घेराव की चेतावनी दी गई है. जिसमें स्थानांतरण चाहने वाले अध्यापकों (तृ.वे.श्रं.) के तुरंत स्थानांतरण करने, शिक्षकों के सभी संवर्गों के लिए स्थाई, पारदर्शी एवं न्यायपूर्ण स्थानांतरण नीति लागू करने, सभी खाली पद नवनियुक्त से भरने और उप प्रधानाचार्य के 50 फीसदी पदों पर सीधी विभागीय भर्ती से भरने की मांग की गई है. इन मांगों को लेकर राजस्थान के शिक्षक 13 फरवरी को विधानसभा पर धरना तथा रैली के माध्यम से विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है. विरोध प्रदर्शन में राजस्थान के सभी शिक्षकों का आने का आह्वान किया गया है.
अध्यापकों को तबादलों से रखा गया वंचित
राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग और महामंत्री उपेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया है कि केवल तृतीय श्रेणी शिक्षकों को स्थानांतरण से लगातार वंचित रखकर अध्यापकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है. अध्यापकों के साथ भेदभाव और अन्याय किया जा रहा है. इसे प्रदेश के शिक्षक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
तबादलों में चल रहा सिफारिशों का खेल
शिक्षक संघ (शेखावत) के संघर्ष संयोजक दुर्गाराम मोगा, सह संयोजक पोखर मल तथा कोषाध्यक्ष राधेश्याम यादव ने राजनेताओं की सिफारिश से शिक्षकों के स्थानांतरण को सेवा नियमों का उल्लंघन बताते हुए कहा कि बिना नीति के स्थानांतरण से शिक्षकों को जहां भेदभाव, राजनीतिक प्रताड़ना और अन्याय का शिकार होना पड़ता है. वहीं यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार की स्रोत भी है. इसलिए सरकार को तुरंत स्थानांतरण नीति लागू करनी चाहिए. संगठन के सभाध्यक्ष याकूब खान तथा वरिष्ठ उपाध्यक्ष हेमंत खराड़ी ने स्पष्ट किया कि माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक का पद समाप्त कर इसके स्थान पर समान वेतनमान का उप प्रधानाचार्य का पद सृजित किया गया है.
उप प्रधानाचार्य के 50 फीसदी पदों पर हो सीधी भर्ती
शिक्षक संघ शेखावत का कहना है कि प्रधानाध्यापक के पदों पर 50 फीसदी पद सीधी विभागीय भर्ती से भरे जाने का प्रावधान था. इसलिए उपप्रधानाचार्य के पद भी 50 फीसदी पदों पर सीधी विभागीय भर्ती से की जाए.