प्रदेश के लाखों संविदा कर्मियों ने फिर उठाई मांग, सरकार दे राहत

10 फरवरी को पेश किए गए बजट में एक बार फिर से संविदा कर्मियों ने निराशा जताई है. राजस्थान में विभिन्न विभागों में कार्यरत लाखों संविदा कर्मियों ने सरकार से गुहार लगाई है की जल्द से जल्द संविदा कर्मियों की समस्या का समाधान कर उनको राहत देनी चाहिए. इसके साथ ही बजट में जिस फार्मूले से संविदा कर्मियों के अनुभव को मान्य करने का बिंदु शामिल किया गया है उसको संविदा कर्मियों के साथ खिलवाड़ करार दिया जा रहा है.

बजट में संविदा कर्मियों के लिए तय अनुभव पैमाना

10 फरवरी को जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पेश किया तो संविदा कर्मियों के अनुभव को लेकर एक पैटर्न लागू किया गया है. जिसके तहत 3 वर्ष का सेवा कार्यकाल पूरा करने पर 1 साल के अनुभव का लाभ दिया जाएगा.  इस प्रकार 15 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 5 वर्ष की सेवा अवधि की गणना की जाएगी.  बजट 2023-24 के कार्मिक कल्याण के बिंदु में क्रम संख्या 158 पर संविदा कर्मियों को अन्य सेवा से आईएएस में वरिष्ठता निर्धारण हेतु अनुभव की गणना करने की तर्ज पर संविदा कर्मियों के अनुभव की गणना करने की घोषणा की है. सरकार की इस घोषणा का अब विरोध होना शुरू हो चुका है.

संविदा कर्मियों ने जताया विरोध

राजस्थान के विभिन्न विभागों में कार्यरत करीब सवा लाख से ज्यादा संविदा कर्मियों ने इस पैटर्न का विरोध शुरू कर दिया है. संविदा कर्मियों का कहना है कि राजस्थान सरकार ने बजट 2023-24 में संविदा कर्मियों के साथ जादूगरी का खेल कर दिया है.  इस पैटर्न के आधार पर जिस कार्मिक ने 3 वर्ष की सेवा पूरी की है उन्हें 1 वर्ष का अनुभव लाभ मिलेगा. इस प्रकार 15 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 5 वर्ष की सेवा अवधि की गणना की जाएगी. राज्य सरकार के इस निर्णय से लाखों संविदा कर्मियों के साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है. इस आधार पर 98 फीसदी संविदा कर्मी वर्तमान में नियमितीकरण का लाभ नहीं ले पाएंगे. और ना ही इन संविदाकर्मियों को मानदेय वृद्धि का लाभ मिल पाएगा.  

2018 के घोषणा पत्र में नियमित करना का किया था वादा

राजस्थान में कार्यरत संविदा कर्मियों ने बताया कि कांग्रेस पार्टी के 2018 घोषणा पत्र में राजस्थान के समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया गया था. लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी आज तक संविदा कर्मियों को नियमित करने का कोई कदम नहीं उठाया गया है. पिछले 4 सालों से संविदा कर्मियों के साथ सिर्फ छलावा हो रहा है. साथ ही संविदा कर्मियों का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है.  राज्य सरकार के पास अभी भी समय है कि राजस्थान के सभी विभागों के संविदा कर्मियों को नियमित करने का निर्णय लेकर उनके नियमित पद सृजन करे. तथा जितने वर्ष उन्होंने सेवा की है उस वास्तविक सेवा को शामिल कर स्क्रीनिंग के मार्फत नियमितीकरण करने का कार्य किया जाए.

बड़े आंदोलन की चेतावनी

संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर राज्य सरकार ने संविदा कर्मियों के पक्ष में कोई निर्णय नहीं किया तो संविदा कर्मियों को एक बहुत बड़ा आंदोलन राज्य सरकार के खिलाफ करने को मजबूर होना पड़ेगा. सरकार हमारी पीड़ा समझे और हमारे इतने वर्षों से की गई मेहनत को धूमिल ना होकर उचित नियमितीकरण का तोहफा दे.

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