अब आईटीआई संविदाकर्मी उतरे आंदोलन की राह पर, एक ही मांग को लेकर सरकार से गुहार

चुनावी साल है और हर वर्ग चाहता है की सरकार उनकी मांगों को पूरा करे. इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार हर वर्ग सरकार के सामने गुहार लगाता हुआ नजर आ रहा है. वहीं अब प्रदेशभर के सैंकड़ों आईटीआई संविदाकर्मी भी इसी आस से सरकार की ओर देख रहे हैं. गुरुवार 18 मई को राजस्थानभर से बड़ी संख्या में आईटीआई संविदा कर्मी जयपुर में जुटे और शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मंत्री अशोक चांदना और आरएसएलडीसी डायरेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा

राजस्थान संविदा सेवा नियम 2022 में शामिल करने की मांग

राजस्थान के सैंकड़ों आईटीआई संविदाकर्मी आज बड़ी संख्या में जयपुर में जुटे, अपनी एक मांग को लेकर आईटीआई संविदा कर्मियों ने जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिवसीय धरना देकर अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की, इन संविदा कर्मियों ने मांग की है की आईटीआई गेस्ट फैकल्टी अनुदेशकों को राजस्थान सिविल सेवा नियम 2022 में शामिल किया जाए, साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कौशल नियोजन एवं उद्यमिता विभाग मंत्री अशोक चांदना और आरएसएलडीसी चैयरमैन के नाम ज्ञापन सौंपते हुए जल्द समस्या समाधान की मांग रखी

मंत्री से कई बार लगाई गुहार, लेकिन नहीं बनी बात

भरतपुर से पहुंचे संविदा कर्मी अश्विनी शर्मा बताया कि हमारा धरने का मुख्य मकसद है कि राजस्थान संविदा नियम 2022 में हमको शामिल किया जाए.  हमने कई बार हमारे विभाग के मंत्री अशोक चांदना, कौशल नियोजन एवं उधमिता विभाग के डायरेक्टर के सामने हमारी समस्या रखी. लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन ही मिला. हमें सिर्फ 8 से 9 महीने की रोजगार मिलता है. इसके अलावा करीब 3 से 4 महीने घर बैठे रहते हैं. जिससे हमारे सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होता है. अगर हमें राजस्थान संविदा नियम 2022 में शामिल किया जाता है तो हजारों परिवार को इससे लाभ होगा. इसके साथ ही भविष्य में नियमित होने का भी अवसर मिलेगा

वर्किंग आवर को किया कम

धरने में पहुंची महिला संविदाकर्मी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि पहले जो हमारे वर्किंग आवर थे वो 1600 घंटे थे. लेकिन इसको घटाकर अब 1200 घंटे कर दिया गया है. ऐसे में अब करीब 4 महीने हमें घर बैठना पड़ता है. नये नियमों में शामिल होने से हमारे सामने आर्थिक संकट नहीं आ पाएगा. हम जो काम करते हैं वही काम अन्य स्थानों पर करने पर लोगों को 25 से 28 हजार रुपये वेतन मिलता है जबकि हमें प्रति महीना 14 हजार रुपये वेतन का ही भुगतान किया जा रहा है. अगर सरकार हमें नये नियमों में लेती है तो संविदा कर्मियों का शोषण भी खत्म होगा.

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