एक भर्ती ऐसी भी, जो एक दशक बाद भी नहीं हो पाई है पूरी !

पंचायती राज विभाग में निकाली गई कनिष्ठ अनुदेशक (LDC) भर्ती 2013 को पूरे 10 साल का समय हो चुका है. लेकिन ये भर्ती है की पूरा होने का नाम ही नहीं ले रही है. 19 हजार 581 पदों पर निकाली गई इस भर्ती में अभी भी करीब 6 हजार पदों पर नियुक्ति का इंतजार है. कभी आयु सीमा में छूट तो कभी बोनस अंकों को लेकर खड़ा हुआ था विवाद. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक भी कानून लड़ाई देखने को मिली.

10 सालों का लम्बा इंतजार

पंचायती राज विभाग में साल 2013 में 19 हजार 551 पदों पर भर्ती की विज्ञप्ति जारी की गई थी. विज्ञप्ति निकालने के करीब 4 सालों के अंदर इस भर्ती में 8 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को नियुक्ति की सौगात भी दे दी गई थी. विभाग की ओर से इस भर्ती को दो चरणों में पूरा करने का फैसला लिया गया था. पहले चरण में 4 हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को पूरी किया गया वहीं साल 2022 में 4 हजार 29 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा किया. अब तक इस भर्ती में करीब 13 हजार पदों को नियुक्ति द्वारा भर दिया गया है.

अभी भी 6  हजार युवाओं को नियुक्ति का इंतजार

विभिन्न चरणों में इस भर्ती को पूरा करने के बाद अभी तक इस भर्ती में करीब 13 हजार पदों पर नियुक्ति पूरी हो चुकी है. वहीं 10 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक पंचायत राज एलडीसी भर्ती में करीब 6 हजार पद रिक्त चल रहे हैं. जिस पर प्रतिक्षा सूची जारी कर जल्द से जल्द पदों को भरने की मांग लम्बे समय से उठ रही है.

2017 में भर्ती को कर दिया गया था रद्द

साल 2013 में निकाली गई पंचायती राज एलडीसी भर्ती में नियु्क्ति का इंतजार कर रहे बेरोजगारों का भाजपा की सरकार के दौरान साल 2017 में धक्का लगा जब भाजपा सरकार ने इस भर्ती को रद्द करने का फैसला लिया. लेकिन साल 2018 में जब फिर से कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो सत्ता में आने के करीब 3 साल बाद साल 2021 में सरकार की ओर से इस भर्ती को पूरा करने का फैसला लिया गया. जिसके बाद साल 2022 में 4 हजार 29 पदों पर एक और नियुक्ति की सूची जारी की गई है.

1500 से ज्यादा पदों पर कोर्ट के आदेश से मिली नियुक्ति

पंचायती राज एलडीसी भर्ती कोर्ट में लम्बे समय तक लम्बित चलने वाली भर्ती में से भी गिना जाएगा. भर्ती की विज्ञप्ति जारी होने के साथ ही  यह भर्ती कोर्ट में अटकी हुई नजर आई. कभी बोनस अंकों तो कभी आयु सीमा के चलते यह भर्ती कोर्ट में अटकी रही. इसके साथ ही अगर कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहत की बात की जाए तो करीब 1 हजार 600 से ज्यादा अभ्यर्थियों को कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद नौकरी मिली थी.

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