विधानसभा का सत्र जहां अंदर जारी है. तो वहीं बाहर अपनी मांगों को लेकर हर वर्ग आंदोलन की राह पर उतरता हुआ नजर आ रहा है. पिछले दिनों बेरोजगारों के साथ ही विभिन्न संगठनों द्वारा विधानसभा के दौरान धरना और प्रदर्शन करते हुए नजर आए तो वहीं अब शिक्षक भी अपनी दो सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर उतर चुके हैं. राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत एवं शिक्षक संघ प्रगतिशील के साथ ही उप प्राचार्य सीधी भर्ती संघर्ष समिति के बैनर तले आज बाइस गोदाम स्थित पेट्रोल पंप के पास धरना देकर सरकार के सामने अपनी दो सूत्री मांग रखी.
इन मांगों को लेकर किया गया प्रदर्शन
बाइस गोदाम पेट्रोल पंप के पास धरने में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में प्रदेशभर से शिक्षक जुटे. शिक्षकों ने धरना प्रदर्शन करते हुए सरकार के सामने अपनी दो मांग रखी. जिसमें पहली बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की रही तो वहीं दूसरी मांग सरकारी स्कूलों में नवसृजित उप प्राचार्य के 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती प्रक्रिया के तहत भरने की मांग रखी
मांग नहीं मानी तो बड़े आंदोलन की चेतावनी- महावीर सिहाग
राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश अध्यक्ष महावीर सिहाग ने बताया कि पिछले 4 सालों से हर वर्ग को तबादलों की सौगात मिली है. लेकिन प्रदेश के लाखों तृतीय श्रेणी शिक्षक तबादलों की सौगात से विमुख है. ऐसे में जल्द से जल्द सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले करे. इसके साथ ही उप प्राचार्य के जो पद सृजित किए गए हैं उनमें से 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती की जाए. जिससे इस पद पर हर किसी को मौका मिल सके.
8 महीनों से कर रहे मांग, सरकार नहीं दे रही ध्यान- राधा मोहन मीणा
उप प्राचार्य सीधी भर्ती संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष राधा मोहन मीणा ने बताया की सरकार की ओर से 12 हजार से ज्यादा स्कूलों में उप प्राचार्य का पद सृजित किया गया है. लेकिन इन सभी पदों पर पदोन्नति से भरने के आदेश जारी किए गए हैं. ऐसे में लाखों शिक्षक इस पद तक नहीं पहुंच पाएंगे. पिछले 8 महीनों से सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. मांग को लेकर कई बार आंदोलन भी किया जा चुका है.
युवाओं को हितों के साथ हो रहा खिलवाड़- बन्ना राम चौधरी
शिक्षक संघ प्रगतिशील के प्रदेश अध्यक्ष बन्ना राम चौधरी ने बताया कि सरकार द्वारा इन दोनों की मांगों पर ध्यान नहीं दिए जाने से लाखों शिक्षकों में आक्रोश है. दोनों ही मांग में सरकार को कोई वित्तीय भार नहीं आ रहा है. सरकार की इस अनदेखी के चलते लाखों शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.