राजस्थान में पिछले 5 सालों से शिक्षकों के एक बड़ा वर्ग हो सरकार से एक आस लगाए बैठे हैं. और वो आस है तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों की. लेकिन 5 साल में राजस्थान के करीब ढाई लाख शिक्षकों की इस एक मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसके चलते अब तृतीय श्रेणी शिक्षक आंदोलन का बिगुल बजाने जा रहे हैं. तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने 17 मई को जयपुर के शहीद स्मारक पर जुटने के साथ ही आर-पार की लड़ाई की चेतावनी भी दे डाली है.
टूटता जा रहा सब्र का बांध
राजस्थान के करीब ढाई लाख तृतीय श्रेणी शिक्षकों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है।. शिक्षा विभाग की ओर से तबादला नीति बनाने की बात कहते हुए साढ़े 4 साल निकल जाने के बाद भी तबादले नहीं होने के चलते अब शिक्षकों ने आंदोलन का बिगुल बजा दिया है. 3 मई से जहां प्रदेशभर में जिला स्तर पर आंदोलन शुरू हो चुके हैं वहीं अब 17 मई को जयपुर के शहीद स्मारक पर आंदोलन की हुंकार भरी है.
मुख्यमंत्री से फिर से लगाई गुहार
शिक्षकों ने अब एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतरने का फैसला लिया है. तृतीय श्रेणी शिक्षक संघर्ष समिति के संयोजक सुनील महला ने कहा कि तृतीय श्रेणी शिक्षक कई बार अधिकारियों से लेकर शिक्षा मंत्री से वार्ता कर चुके हैं. बीते दिनों भी शिक्षा मंत्री से वार्ता में उन्होंने यही कहा कि अंतिम फैसला सीएम अशोक गहलोत लेंगे. ऐसे में सोमवार को सीएम की जनसुनवाई में भी पहुंचे. उन्हें शिक्षकों की पीड़ा बताते हुए ट्रांसफर की मांग से भी अवगत कराया. लेकिन उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया.
17 मई को जयपुर में जुटेंगे शिक्षक
तृतीय श्रेणी शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले 17 मई को बड़ी संख्या में शिक्षक शहीद स्मारक पर आंदोलन करने जा रहा है. इसके साथ ही अपनी मांग को लेकर शिक्षक अनशन करेंगे.शिक्षकों ने आरोप लगाया कि 5 साल में तृतीय श्रेणी शिक्षकों को छोड़कर सभी संवर्ग में ट्रांसफर किए गए. जिसे लेकर शिक्षकों में आक्रोश है. तृतीय श्रेणी शिक्षकों की संख्या ज्यादा है, लेकिन एक नीति और व्यवस्था के तहत उनके हर साल ट्रांसफर कर दिए जाते हैं तो ये संख्या ज्यादा नहीं होती. अब तो सरकार नई भर्ती भी करने जा रही है. जिसका रिजल्ट कभी भी जारी हो सकता है. ऐसे में सरकार से अपेक्षा है कि वो नई भर्ती से पहले पुराने शिक्षकों को ट्रांसफर का तोहफा दें.
शिक्षक हो रहे परेशान
शिक्षक नेता सूरजभान सिंह ने बताया कि शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं होने से शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग मानसिक परेशानी से जूझ रहा है. तो कुछ विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं. कुछ एकल महिलाएं हैं. कुछ शिक्षकों को 20 से 25 साल अपने परिवार से दूर रहते हो गए हैं. ऐसे में शिक्षक अपने गृह जिले में आकर सेवाएं देना चाहते हैं.