बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन ये प्रयास धरातल पर कहीं ना कहीं नाकाफी साबित होते हुए नजर आ रहे हैं. कुछ ऐसा ही होने जा रहा है राजस्थान में पहली बार निकाली गई कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती के पदों की संख्या को लेकर. सरकारी स्कूलों में पहली बार 10 हजार 157 पदों पर कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती आयोजित की गई.लेकिन भर्ती में न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता के चलते बड़ी संख्या में पद खाली होने की वजह से अब नये सत्र में 60 फीसदी स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षकों के पद खाली रहने की समस्या बन गई है.
10 हजार 157 पदों पर हुई थी भर्ती
राजस्थान में युवा बेरोजगारों के कड़े संघर्ष के बाद 10 हजार 157 पदों पर सरकार की ओर से नियमित कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती निकाली गई. इसमें 9 हजार 862 पदों पर बेसिक कम्प्यूटर अनुदेशक और 295 वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक के पदों पर 18 और 19 जून 2022 को परीक्षा का आयोजन किया गया. लेकिन न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता के चलते भर्ती में महज 6 हजार 552 अभ्यर्थियों का ही अंतिम रूप से चयन कर जिला आवंटन किया गया. जिसके चलते भर्ती में 3 हजार 605 पद खाली रहे गए हैं.
महज 30 फीसदी स्कूलों में ही होगी नियुक्ति
राजस्थान के उच्च माध्यमिक स्कूलों में कम्प्यूटर अनुदेशकों के पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. लेकिन राजस्थान में उच्च माध्यमिक स्कूलों की बात की जाए तो इनकी संख्या 19 हजार 100 है. जबकि महज 6 हजार 552 अभ्यर्थियों का ही अंतिम रूप से चयन कर जिला आवंटन किया गया है. जिसके बाद 12 हजार 548 स्कूलों में नये सत्र में कम्प्यूटर शिक्षा की पढ़ाई पर तलवार लटक गई है.
अभी तक उठ रही न्यूनतम अंकों की योग्यता हटाने की मांग
10 हजार 157 पदों पर निकाली गई कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती में न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता के चलते 3 हजार 605 पद खाली रह गए थे. जिसके बाद से ही प्रदेश के युवा बेरोजगार लगातार भर्ती में न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता में शिथिलता देते हुए खाली पदों पर सूची जारी करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन युवा बेरोजगारों की मांग पर ना तो सरकार की ओर से कोई ध्यान दिया जा रहा है और ना ही शिक्षा विभाग की ओर से. ऐसे में नये सत्र में 60 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में कंप्यूटर विषय की पढ़ाई फिर से चौपट ही होती नजर आएगी.