विप्र महासभा राजस्थान की ओर से 7 सूत्री मांगों को लेकर बाइस गोदाम पेट्रोल पंप के बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने का प्रयास किया गया. विप्र महासभा की ओर से दिए गए इस धरने में बड़ी संख्या में समाज बंधु के साथ ही पंडित, पुजारी और कथा वाचक भी शामिल रहे. इसके साथ विरोध जताते हुए कहा की 10 फरवरी को सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में समाज की मांगों को दरकिनार किया गया है. साथ ही 16 फरवरी को बजट पर रिप्लाई में अगर समाज की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में अपनी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
इन मांगों को लेकर दिया गया धरना
विप्र महासभा राजस्थान की ओर से 7 सूत्री मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया. महासभा की ओर से सरकार के सामने इन 7 मांगों को रखा गया.
1- पंडित-पुजारी-धर्मगुरु-कथावाचक प्रोटेक्शन बिल लाया जाए. जिसमें मंदिर के पुजारियों को वेतन, मंदिर की व्यवस्था और प्रसाद के लिए 10 हजार रुपये भत्ता, सुरक्षा के प्रावधान, मंदिर की जमीनों का संरक्षम, अपमानजनक व्यवहार पर गैर जमानती अपराध, मंदिर के पुजारी से जुड़े विवाद में आरपीएस स्तर के अधिकारी से जॉब, बड़े धर्मगुरुओं को सुरक्षा गार्ड का प्रावधान रखने की मांग की गई.
2- ईडब्ल्यूएस कैटेगरी को सरकारी नौकरियों में एवं शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में न्यूनतम अर्हता अंकों में अन्य वर्ग की तरह 5 फीसदी की छूट की मांग
3- ईडब्ल्यूएस वर्ग के विद्यार्थियों को निजी शिक्षण संस्थानों में छात्रवृत्ति व अन्य लाभ देने की मांग
4- ईडब्ल्यूएस को सरकारी नौकरियों में रिक्त रही सीटों एवं पदोन्नति में बैक लॉग सिस्टम लागू करने की मांग.
5- महिलाओं के ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र में पिता की आय से छूट, केवल पति की आय ही आधार हो.
6- केन्द्रीय भर्तियों में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी को आयु सीमा छूट के लिए प्रदेश की तर्ज पर अन्य लाभ के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की मांग
7- अन्य भर्तियों में मैटर जिनमें ईडब्ल्यूएस वर्ग को राहत देने की मांग की गई है
मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो होगा बड़ा आंदोलन
विप्र महासभा राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सुनील उदेईया और परशुराम सेना के एडवोकेट अनिल चतुर्वेदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि 10 फरवरी को सरकार ने जो बजट पेश किया उसमें समाज के हितों का ध्यान नहीं रखा गया. जिसके चलते समाज में भारी आक्रोश है. इसलिए विधानसभा पर धरना प्रदर्शन कर अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है. अगर अब भी 16 फरवरी को सरकार की ओर से समाज की मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो आने वाले समय में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.