रीट भर्ती 2018 में 372 एमबीसी (MBC) विद्यार्थी आज भी नियुक्ति की मांग को लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. लेवल-1 के ये अभ्यर्थी नियुक्ति की मांग को लेकर अब मंत्री और विधायकों को ज्ञापन सौंपते हुए नजर आ रहे हैं. अपनी मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित दर्जनों विधायकों और मंत्रियों को ज्ञापन सौंपते हुे समझौते के अनुसार प्रक्रियाधीन रीट भर्ती 2018 के वंचितों को नियुक्ति देने साथ ही कम्प्यूटर अनुदेशक भर्ती में न्यूनतम अंकों की अनिवार्यता 40 फीसदी से घटाकर 35 फीसदी करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा है.
सचिन पायलट सहित दर्जन विधायकों को सौंपा ज्ञापन
रीट भर्ती 2018 के MBC अभ्यर्थियों ने समझौता अनुसार प्रक्रियाधीन रीट भर्ती 2018 लेवल प्रथम 372 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, डॉ जितेंद्र सिंह ,वेदप्रकाश सोलंकी , राजकुमार शर्मा, इंद्राज गुर्जर , BD कल्ला , अशोक चांदना सहित 2 दर्जन विधायक व मंत्रियों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. साथ ही समझौते पालना व दिसम्बर 2022 में गठित हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर रीट 2018 में 372 MBC युवाओं को नियुक्ति देने व कंप्यूटर अनुदेशक भर्ती में न्यूनतम अंकों की अनिवायर्ता 35 फीसदी करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा
अब तक 4 बार हो चुके हैं समझौते
गौरतलब है की रीट भर्ती 2018 में एमबीसी के 372 पदों के पेंच को लेकर कई बार आंदोलन हुए. जिसके बाद सरकार की ओर से फरवरी 2019, अक्टूबर 2020, नवम्बर 2020 और दिसम्बर 2022 में समझौता किया गया. इसके साथ ही समस्याओं का समाधान करते हुए नियुक्ति देने की बात कही गई. लेकिन इसके बाद भी अभी तक रीट 2018 MBC अभ्यर्थियों के पदों पर नियुक्ति नहीं दी गई है.
2022 में कमेटी का हुआ था गठन
372 पदों पर नियुक्ति को लेकर सरकार की ओर से हाई पावर कमेटी का गठन दिसम्बर 2022 में किया गया था. लेकिन कमेटी के गठन के तीन महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक नियुक्ति का रास्ता साफ नहीं होने से वंचित अभ्यर्थियों में आक्रोश है,
वंचित अभ्यर्थियों ने दी चेतावनी
वंचित युवा अभ्यर्थी नियु्क्ति की मांग को लेकर पिछले 4 सालों से संघर्ष कर रहे हैं. चार बार बड़े आंदोलन भी किए जा चुके हैं, हाई पावर कमेटी का गठन भी किया जा चुका है. लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं निकलने के चलते अब युवाओं में आक्रोश है. युवाओं ने चेतावनी देते हुए कहा की अगर जल्द ही सरकार नियुक्ति को लेकर फैसला नहीं लेती है तो फिर से आंदोलन की राह पर उतरना पड़ेगा.