शिक्षा विभाग में नये शिक्षा सेवा नियमों के कारण विभाग में पिछले तीन सत्रों से वरिष्ठ अध्यापक से व्याख्याता पद की पदोन्नति लटकी हुई है. नए नियमों की विसंगति पर मुख्यमंत्री द्वारा नए नियमों में छूट पर शिक्षा मंत्री ने प्रसंज्ञान लेते हुए ग्रुप-2 से आदेश पारित करवाया की नए नियम लागू होने से पूर्व जिन शिक्षकों ने असमान विषय पोस्ट ग्रेजुएट कर रखा है उन्हें छूट प्रदान कर दी जाए. लेकिन यह आदेश हुए करीब 11 महीनों का समय बीत चुका है. उसके बाद भी पदोन्नति का इंतजार लम्बा होता जा रहा है
व्याख्याता के करीब 26 हजार पद हुए खाली
तीन सत्रों से पदोन्नति अटकी होने के चलते अब व्याख्याताओं के पद लगातार खाली हो रहे हैं. राजस्थान में व्याख्याताओं के 54 हजार पदों में से करीब 26 हजार पद खाली पड़े हुए हैं. जिसके चलते स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है.वहीं इन व्याख्याताओं के उपलब्ध नहीं होने पर द्वितीय श्रेणी शिक्षक व्याख्याता का कार्य कर रहे हैं. लेकिन वहां पर भी 25 हजार वरिष्ठ अध्यापक के पद खाली पड़े हुए हैं.
पदोन्नति की पूरी चैन हो रही प्रभावित
तीन सत्रों से व्याख्याता पदों पर पदोन्नति नहीं होने से सिर्फ वरिष्ठ अध्यापक ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं. वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति व्याख्याता पद पर नहीं होने के कारण तृतीय श्रेणी शिक्षक भी वरिष्ठ अध्यापक नहीं बन पा रहे हैं. तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पद जब तक खाली नहीं होंगे तब तक अन्य जिलों से शिक्षकों के तबादले भी नहीं हो पाएंगे. इस प्रक्रिया के कारण विभाग की सारी डीपीसी की प्रक्रिया अवरुद्ध हो रही है.
मुख्यमंत्री ने दी थी राहत
मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री ने नए नियमों में छूट देने के लिए विभाग को लिखा है. लेकिन विभाग द्वारा देरी होने के चलते शिक्षक लगातार परेशान हो रहे हैं. मुख्यमंत्री द्वारा पदोन्नति के पद हेतु योग्यता में शिथिलन 5 वर्ष के स्थान पर 3 वर्ष किया गया है तथा 1 वर्ष में दो पदोन्नति लागू करने के आदेश कर दिए गए हैं. लेकिन फिर भी शिक्षा विभाग में तीन सत्रों से पदोन्नति नहीं होने से मुख्यमंत्री के आदेश भी विभागीय अधिकारियों के सामने हवा होते हुए नजर आ रहे हैं.
नये नियम- एक पद की दो योग्यता, सीधी भर्ती तथा पदोन्नति में अलग-अलग योग्यता
राजस्थान शैक्षिक सेवा नियम- 2021 के अंतर्गत प्राध्यापक (विभिन्न विषय) पद पर नियुक्ति हेतु राज्य सरकार द्वारा सीधी भर्ती हेतु योग्यता –“ सुसंगत विषय में स्नातकोत्तर रखी गई है” जबकि सेवारत शिक्षकों (अध्यापक एवं वरिष्ठ अध्यापक) की पदोन्नति के लिए अतिरिक्त योग्यता “ सुसंगत विषय में स्नातकोत्तर बशर्ते कि उन्होंने स्नातक स्तर पर सुसंगत विषय का अध्ययन किया हो” रखी गई है. जो की प्रदेश के लाखों सेवारत शिक्षकों के प्रति न्याय संगत नहीं लग रही है. इस नियम से विज्ञान तथा कॉमर्स के वरिष्ठ अध्यापक सबसे ज्यादा प्रभावित होते हुए नजर आ रहे हैं. साथ ही कला वर्ग के वरिष्ठ अध्यापक जिनके यूजी तथा पीजी में भिन्न-भिन्न विषय है वह भी इससे प्रभावित होंगे.