पटवारी से तहसीलदार पद पर होने वाले प्रमोशन में विसंगती सैंकड़ों पटवारियों पर लम्बे समय से भारी पड़ती हुई नजर आ रही है. लम्बे समय से इन विसंगतियों को दूर करने की मांग की जा रही है. लेकिन कोई समाधान नहीं होने के चलते अब पटवार संघ की ओर से आंदोलन की चेतावनी दे डाली है. साथ ही पटवार संघ की ओर से आंदोलन के आगाज के साथ ही जब तक विसंगतियां दूर नहीं होंगी तब तक काम नहीं करने की घोषणा भी कर दी गई है.
पदोन्नति में क्या है विसंगति ?
तहसीलदार के पदों की अगर बात की जाए तो तहसीदार के कुल सृजित पदों में से 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से भरने का प्रावधान है तो वहीं 50 फीसदी पदों पर पदोन्नति के माध्यम से भरने का प्रावधान है. लेकिन प्रदेश में कैडर स्ट्रैंथ के अनुपाल में दो फीसदी पटवारियों को भी तहसीलदार तक प्रमोशन नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह है प्रमोशन के नियमों में रही विसगंतियां, इस विसंगति के चलते पूरी नौकरी में पटवारियों को सिर्फ तीन प्रमोशन का ही लाभ मिल पा रहा है.
आंदोलन की रूपरेखा की जा रही तैयार
सरकार की ओर से वरिष्ठ पटवारी का पद सृजित किया गया है. इसमें 5 साल के अनुभव के बजाय प्रमोशन की पोस्ट होने से फायदा होने के बजाय पटवारियों को नुकसान हुआ है. इसी को लेकर अब पटवार संघ की ओर से आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है. वहीं प्रमोशन की विसंगतियों के मामले में पटवार संघ व मंत्रालयिक कर्मचारी संघ भी आमने-सामने हो गए हैं.
क्या है 1986 प्रमोशन नियम
राजस्थान में 50 फीसदी तहसीलदार सीधी भर्ती वाले और 50 फीसदी प्रमोशन वालों को बनाया जाता है. लेकिन 1986 में प्रमोशन के नियमों में यह प्रावधान कर दिया कि अतिरिक्त प्रशासनिक कैडर के 25 फीसदी को तहसीलदार में प्रमोशन दिया जाए. बाकी पद पटवारी से प्रमोशन लेकर नायब तहसीलदार से भरे जाएंगे.
पटवारी संघ ने दी दलील
प्रमोशन नियमों में विसंगति पर पटवार संघ ने दलील देते हुए कहा कि 8 हजार 345 पटवारी भर्ती होकर केवल 170 ही तहसीलदार तक प्रमोशन की संभावना है. जबकि 2 हजार 994 कनिष्ठ लिपिक में से 374 तहसीलदार ही बन पाएंगे. अगर जल्द ही प्रमोशन को लेकर विसंगतियों को दूर नहीं किया जाता है तो जल्द ही आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.