राजस्थान की धरती का नाम बड़े ही गौरव से लिया जाता है. क्योंकि देश के सम्मान और गौरव के लिए अपने प्राणों की आहुति देने में राजस्थान के वीर किसी से पीछे नहीं है. राजस्थान के इन वीर सपूतों की इतनी कहानियां है जिनको सुनाना शुरू किया जाए तो कभी अंत ना हो. लेकिन इन शहीदों के बीच कुछ ऐसी कहानियां उन वीरांगनाओं की भी है जिन्होंने अपने पति की शहादत पर मातम नहीं मनाया. बल्कि ऐसा संकल्प लिया जिस पर देश को गर्व हो. कुछ ऐसी ही कहानी है राजस्थान के झुंझुनू की रहने वाली निशा कुल्हरी की. शिखर पर पहुंचने की इस खास पेशकश में आज हम बात करने जा रहे है निशा कुल्हरी की.
शादी के महज 5 साल बाद ही पति हुए शहीद
फौजी परिवार से ताल्लुक रखने वाली निशा की भी इच्छा की थी उसकी शादी किसी फौजी से ही हो. निशा कुल्हरी की शादी साल 2007 में मेजर सुरेन्द्र सिंह से हुई. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. शादी के 5 साल बाद आतंकियों से मुठभेड़ में मेजर सुरेन्द्र सिंह शहीद हो गए. पति के शहीद होने के बाद निशा ने संकल्प लिया की वो देश की सेवा के लिए फौज में जाएंगी.
पति की शहादत के बाद पढ़ाई रखी जारी
पति के शहीद होने के बाद निशा कुल्हरी ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. और करीब 10 सालों की कड़ी मेहनत के बाद निशा को सफलता मिली. आज निशा कुल्हरी देश की नॉन मेडिकल व नॉन टेक्निकल ब्रांच की पहली कर्नल और देश की पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर है.
बचपन से ही था देश सेवा का जज्बा
निशा कुल्हरी जब छोटी थी तब अपने दादा की बड़ी वर्दी पहन लेती थी. इसके साथ ही निशा बचपन से ही करती थी की एक दिन वो दादा की तरह वर्दी पहनकर देश की सेवा करेंगी. दुश्मनों को धूल चटाएगी. सेना की वर्दी पहनना निशा का बचपन से सपना बन गया. निशा प्रारंभिक शिक्षा के दौरान एथलीट रही है. इसके बाद वह हॉकी की भी खिलाड़ी रह चुकी
शहादत से पहले दुश्मनों को चटाई थी धूल
निशा कुल्हरी की साल 2007 में सीकर के कूदन गांव निवासी मेजर सुरेन्द्र सिंह से शादी हुई. लेकिन जून 2012 में कुपवाड़ा में आतंकियों के हमले में मेजर सुरेन्द्र सिंह शहीद हो गए. शहादत से पहले मेजर सुरेन्द्र सिंह ने दुश्मनों से जमकर लोहा लिया और शहीद होने से पहले उन्होंने कई दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था. शहीद मेजर सुरेन्द्र सिंह को उनकी वीरता के लिए सेना पदक से भी सम्मानित किया गया.
पहले से थी सर्विस में, लेकिन पति का सपना करना था पूरा
हालांकि निशा कुल्हरी पहले से सेना में थी. लेकिन उनका सपना था अपने पति के सपने को पूरा करना. जिसके लिए निशा ने दिन रात एक करते हुए पढ़ाई की. और आज निशा कुल्हरी देश की नॉन मेडिकल व नॉन टेक्निकल ब्रांच की पहली कर्नल और देश की पहली महिला कमांडिंग ऑफिसर है